
रायगढ़, 27 अगस्त।छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान बन चुका चक्रधर समारोह इस वर्ष अपनी 40वीं वर्षगांठ मना रहा है। राज्यपाल रमेन डेका ने आज इस ऐतिहासिक अवसर का भव्य शुभारंभ किया। उन्होंने भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर, संगीत सम्राट राजा चक्रधर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज्यपाल श्री डेका ने कहा कि चक्रधर समारोह हमें हमारे गौरवशाली अतीत और सांस्कृतिक विरासत से जोड़ता है। राजा चक्रधर सिंह ने शास्त्रीय संगीत, कथक नृत्य और साहित्य को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। इस उत्सव के माध्यम से उनकी स्मृति और योगदान को भावभीनी श्रद्धांजलि दी जा रही है।
असम और छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक संबंधों पर प्रकाश
राज्यपाल ने अपने संबोधन में असम और छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि जिस तरह श्रीमंत शंकरदेव ने असम में कला-संस्कृति को बढ़ावा दिया, उसी प्रकार राजा चक्रधर सिंह ने रायगढ़ को शास्त्रीय कलाओं का गढ़ बनाया। उन्होंने यह भी बताया कि असम में अब राजा चक्रधर सिंह की स्मृति में पुरस्कार की स्थापना की जाएगी।
भारतीय संस्कृति का उत्सव: 10 दिवसीय सांस्कृतिक संगम
चक्रधर समारोह में इस वर्ष शास्त्रीय गायन, वादन और लोक कलाओं का भव्य संगम देखने को मिलेगा। देश-विदेश से कलाकार इस आयोजन में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। राज्यपाल ने इसे “संवेदनाओं को जगाने वाला आयोजन” बताया जो आधुनिकता की दौड़ में संस्कृति से दूर होती पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ता है।
शेखावत ने समारोह को बताया सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने चक्रधर समारोह की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत उसकी विविधता में एकता है। उन्होंने कहा कि यह समारोह राजा चक्रधर सिंह के योगदान को याद करने और अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का गौरवमयी अवसर है।उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ अब नक्सल प्रभावित राज्य की पहचान से आगे बढ़कर संस्कृति और पर्यटन की दिशा में नई पहचान बना रहा है।
चक्रधर समारोह को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान
राज्य के वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार चक्रधर समारोह को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। रायगढ़ में लगातार हो रहे विकास कार्यों से यहाँ की सांस्कृतिक विरासत को और अधिक मजबूती मिल रही है।
राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि गोंड आदिवासी राजा द्वारा कथक नृत्य को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचाना इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। विभिन्न मंत्रीगण, सांसद, विधायक और गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में इस ऐतिहासिक आयोजन की शुरुआत हुई। 10 दिनों तक चलने वाले इस समारोह में रायगढ़ भारतीय संस्कृति के रंगों से सराबोर रहेगा।
राज्यपाल, मंत्रियों और अतिथियों ने रायगढ़वासियों से इस अमूल्य सांस्कृतिक परंपरा को सहेजने और आगे बढ़ाने की अपील की।
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