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रूस और यूक्रेन के बीच जानें कैसे युद्ध हुआ शुरू और 1 साल में क्या-क्या हुआ..

रूस-यूक्रेन युद्ध को आज एक साल पूरा हो गया। रूसी राष्ट्रपति पुतिन की सेना ने यूक्रेन के कई शहर तबाह कर दिए। इसके बावजूद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की मदद से यूक्रेन हार नहीं मान रहा है। आइए जानें जंग के एक साल की पूरी ABCD.. ठीक एक साल पहले आज ही के दिन रूस ने यूक्रेन पर दिन का उजाला होने से पहले ही ताबड़तोड़ मिसाइल हमलों की बौछार कर दी थी। बीते साल 24 फरवरी को शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध को एक साल तो हो गया है, लेकिन हालात जस के तस हैं। यूक्रेन के नाटों में शामिल होने के कयासों को लेकर रूस द्वारा शुरू की गई लड़ाई कीव पर कब्जा करने की जद्दोजहद तक जा पहुंची है। इस लड़ाई से न केवल रूस-यूक्रेन को नुकसान पहुंचा है, बल्कि पूरी दुनिया पर इसका असर पड़ा है।
 

21 फरवरी को ही पड़ गया था जंग का बीज

रूस-यूक्रेन में असली जंग उस समय ही शुरू हो गई जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 21 फरवरी को यूक्रेन के 2 राज्यों डोनेट्स्क  और लुहांस्क को आजाद घोषित किया। पुतिन की इस घोषणा के बाद ही दोनों देशों में तनातनी बढ़ गई। यूक्रेन ने तो विरोध किया ही, लेकिन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस समेत कई देशों ने इस कदम की आलोचना की। दरअसल, ये दोनों राज्य रूसी सीमा के साथ लगते हैं और यहां के लोगों की मांग और इससे रूस को खतरा बताते हुए पुतिन ने इसे आजाद करने की घोषणा की।

24 फरवरी को पुतिन का संबोधन और युद्ध शुरू

आज ही के दिन सुबह 6 बजे व्लादिमीर पुतिन ने अपने देश के नाम संबोधन दिया था और यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्र डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (डीपीआर) और लुहांस्क पीपुल्स रिपब्लिक (एलपीआर) को आजाद कराने के लिए ”विशेष सैन्य अभियान” (Russia Ukraine War) की बात कहते हुए जंग छेड़ दी थी। पुतिन ने इसी के साथ कहा कि हमने इस कदम को रोकने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ बातचीत की कई कोशिशें की, लेकिन रूस के लोगों को बचाने के लिए यह कार्रवाई जरूरी थी और डोनबास ने भी हमसे मदद मांगी है। यहां बता दें कि रूस के हजारों सैनिक इस जंग की शुरुआत से कई दिनों पहले ही यूक्रेन की सीमा को घेरे थी और हमले की अटकलें लगनी शुरू हो गई थी।

चारों तरफ से यूक्रेन की घेराबंदी

– पुतिन ने जैसे ही सैन्य अभियान की घोषणा की, रूसी सेना ने चारों तरफ से यूक्रेन पर घेरा डाल दिया।
  • उत्तरी क्षेत्र से रूसी सेना बेलारूस से कीव की ओर बढ़ी।
  • उत्तर पूर्व से भी रूसी सेना कीव की ओर बढ़ी
  • पूर्व से सेना ने डोनबास से खार्कीव की ओर अपनी घेरा डाला।
  • दक्षिण से पुतिन की सेना ने क्रीमिया से ओडेसा, जापोरिज्जिया और फिर मारियोपोल की ओर बढ़ी।

PM Modi से यूक्रेन ने मांगी मदद, कहा- पुतिन को रोके भारत

रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत में पुतिन की सेना द्वारा जब यूक्रेन पर ताबड़तोड़ हमले किए गए तो यूक्रेन ने भारत से युद्ध रुकवाने में मदद मांगी। भारत में यूक्रेन के राजदूत डॉ इगोर पोलिखा ने कहा कि पीएम मोदी ग्लोबल लीडर हैं और उनकी बात पुतिन नहीं टालेंगे। उन्होंने पीएम मोदी से अपील की कि वे पुतिन से युद्ध रोकने की बात करें।

कई शहर हुए खंडहर, फिर भी यूक्रेन ने नहीं मानी हार

जंग की शुरुआत में ऐसा लग रहा था कि यूक्रेन कुछ ही दिनों में हार मान लेगा, लेकिन पश्चिमी देशों से मिली मदद की वजह से यूक्रेन आज भी रूस पर जवाबी कार्रवाई कर रहा है और युद्ध के मैदान में डटा है। एक साल में रूस ने कई यूक्रेनी शहरों और बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया है, कई इलाकों को तो खंडहर में तबदील कर दिया गया है। हालांकि यूक्रेन ने भी कई खोए हुए शहरों को जवाबी हमले में वापिस पाया है।

रूसी सेना का इन इलाकों पर कब्जा, फिर यूक्रेन की वापसी

रूस ने जंग के दूसरे महीने में ही कई जगहों पर कब्जा कर लिया था। डोनेट्स्क और लुहांस्क के साथ रूस ने मारियोपोल और खारकीव में कब्जे का ऐलान किया था, लेकिन यूक्रेन ने जवाबी हमले करते हुए मारियोपोल और खारकीव को रूसी कब्जे से मुक्त करा लिया। रूस की सेना को रोकने के लिए यूक्रेन ने अपने कई पुल और बंदरगाह तक खुद उड़ा दिए थे, जिसके चलते सेना आगे नहीं बढ़ सकी थी।

मानवीय गलियारे बनाकर भारतीयों समेत कई लोगों की वतन वापसी

यूक्रेन में युद्ध शुरू होते ही मिसाइल हमलों से लोग सहम उठे। चारों और चीख पुकार मच गई और कई शहरों से लोगों का निकलना शुरू हो गया। यूक्रेन में रह रहे दूसरे देशों के लोगों को निकालने के लिए रूस ने दो बार सीजफायर का एलान कर युद्ध भी रोका तो वहीं मानवीय गलियारे बनाकर भारतीयों समेत कई लोगों की वतन वापसी भी कराई गई।

Operation Ganga से छात्रों समेत 20 हजार भारतीयों की वापसी

यूक्रेन में पढ़ाई करने गए भारतीय छात्रों की वतन वापसी के लिए भी भारत सरकार ने कई कदम उठाए। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर बातचीत कर भारतीयों की वापसी की बात की। इसके बाद पीएम ने ऑपरेशन गंगा शुरू करने का एलान किया और करीब 250 से ज्यादा हवाई जहाजों के साथ कार्गो विमानों को भी यूक्रेन, रोमानिया, पोलैंड और हंगरी भेजा गया। इससे 20 हजार भारतीयों की वापसी सुनिश्चित हुई। इस ऑपरेशन की देखरेख 4 केंद्रीय मंत्रियों ने की थी। इस दौरान एक ऐसी घटनी भी घटी जिसने भारत का नाम और रूस की दोस्ती को भी जगजाहिर किया। दरअसल, रूस जब यूक्रेन पर हमला कर रहा था तभी भारतीय तिरंगे के साथ एक बस लोगों को लेकर निकल रही थी। भारतीय झंडा देखते ही रूसी सैनिकों ने बमबारी रोक दी और बस को आराम से निकलने दिया।

PM Modi का पुतिन और जेलेंस्की को फोन

पीएम मोदी ने मार्च में पुतिन और जेलेंस्की से फोन पर बात कर शांति का संदेश दिया। पीएम मोदी ने पुतिन से लगभग 50 मिनट तक फोन पर बात की और कहा कि उन्हें युद्ध को रोकने के लिए जेलेंस्की से मिलकर बातचीत करनी चाहिए और एक बीच का रास्ता निकालना चाहिए। पीएम ने इससे पहले जेलेंस्की से फोन पर बात कर रूस से बातचीत करने पर सराहना भी की।

1 साल में किसने क्या खोया, क्या पाया

  • जंग के एक साल के बाद सैनिकों की मौत की बात की जाए तो रूस के लगभग 2 लाख सैनिक मारे जा चुके हैं तो वहीं यूक्रेन के 1 लाख सैनिक मरे हैं।
  • यूक्रेन में जंग के बाद कई लोगों ने देश छोड़ दिया है और करीब 1.4 करोड़ लोगों को विस्थापित होना पड़ा है।
  • यूक्रेन को अमेरिकी ने 25 अरब डॉलर से ज्यादा की मदद की है, वहीं इस युद्ध से यूक्रेन को करीब 8 लाख करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है।
  • इस जंग में अब तक 30 हजार से ज्यादा लोगों की मौत की आधिकारिक पुष्टि हुई है।

जापोरिजिया परमाणु प्लांट पर रूस का कब्जा

4 मार्च को रूस ने यूरोप के सबसे बड़े परमाणु प्लांट जापोरिजिया पर कब्जा कर लिया था। रूस द्वारा इस प्लांट के पास पहले हमला किया गया था, जहां आग लगने से अफरा तफरी का माहौल बन गया था। यूक्रेन ने तो इसको लेकर यूएन तक में शिकायत कर दी थी और न्यूक्लियर रेडिएशन का खतरा बताया था।

खार्कीव, मारियोपोल और खेरसॉन बना खंडहर

  • रूस ने जंग शुरू होने के बाद अपना सबसे बड़ा हमला खार्कीव, मारियोपोल और खेरसॉन शहर पर किया था। रूसी सेना के हमले के बाद मारियोपोल और खार्कीव तो मानो खंडहर ही बन गया। चारों और जमींदोज हुई इमारतें और लाशों का ढेर लगा था। स्टीलवर्क्स और मशीनों के काम के लिए प्रसिद्ध शहर मारियोपोल के थियेटर, अस्पताल और कई स्कूलों पर हमले किए गए और हजारों की संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
  • खार्कीव में तो मानों रूस ने विनाश ही ला दिया। अप्रैल में यहां शुरू किए गए हवाई हमलों से चारों तरफ इमारतों को खंडहर में तबदील कर दिया गया। कई स्कूलों में तो पढ़ते हुए बच्चों पर ही बम बरसा दिए गए। रूस ने खार्कीव में कई बहुमंजिला इमारतों पर भी बम गिराए जिससे हजारों लोगों ने अपनी जान गंवा दी।
हालांकि, 6 सितंबर को यूक्रेन की सेना ने रूसी सेना पर जवाबी हमले किए और खार्कीव के 3000 वर्ग किमी पर अपना कब्जा वापिस पा लिया। रूसी सेना को इसके बाद पीछे हटना पड़ा और जब यूक्रेन की सेना वहां पहुंची तो उसने सैंकड़ों कब्रें और यातना कक्ष पाए। यूक्रेनी जनरल स्टाफ ने 16 सितंबर को एक सामूहिक कब्र स्थल की तस्वीरें भी साझा कीं, जिसमें कि महिलाओं और बच्चों के अवशेषों सहित 400 से अधिक शव रखे गए थे।

युद्ध से रूस पर लगे प्रतिबंध और दुनिया को बड़ा नुकसान

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर इन दोनों देशों के साथ पूरी दुनिया पर पड़ा है। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। IMF ने वैश्विक विकास दर को भी 3.2 से घटाकर 2.9 कर दिया तो वहीं वैश्विक महंगाई में भी इजाफा देखने को मिला है। दुनिया को कुल 32 लाख करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि रूस पर अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी समेत कई देशों ने व्यापार के साथ कई प्रतिबंध लगाए हैं। इसके जवाब में रूस ने भी कई देशों में तेल और गैस की आपूर्ति रोक दी, जिससे सभी को नुकसान हुआ है।