भारतीय टीम को जिस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत थी उसी वक्त इस बल्लेबाज ने मोर्चा संभाला। जब टीम इंडिया पर हार का खतरा मंडरा रहा था तब ये खिलाड़ी संकटमोचक बनकर आया और लगातार 9 घंटे तक बल्लेबाजी कर टीम को हार से बचाया। आखिरकार उसकी मेहनत रंग लहाई और टीम इंडिया को हार का स्वाद नहीं चखना पड़ा।

भारतीय टीम को जिस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत थी, उसी वक्त इस बल्लेबाज ने मोर्चा संभाला। जब टीम इंडिया पर हार का खतरा मंडरा रहा था तब ये खिलाड़ी संकटमोचक बनकर आया और लगातार 9 घंटे तक बल्लेबाजी कर टीम को हार से बचाया।
आखिरकार उसकी मेहनत रंग लहाई और टीम इंडिया को हार का स्वाद नहीं चखना पड़ा। ये खिलाड़ी और कोई नहीं, बल्कि भारतीय टीम का पूर्व बल्लेबाज संजय मांजरेकर है, जो आज यानी 12 जुलाई को अपना 58वां जन्मदिन मना रहे है।
बता दें कि संजय मांजरेकर की बल्लेबाजी देख अक्सर उन्हें दूसरा सुनील गावस्कर कहा जाता था। उनका क्रिकेट करियर भले ही काफी साधारण रहा हो, लेकिन उनका बल्ला विदेशी सरजमीं में खूब बोला। इस बल्लेबाज के जन्मदिन के मौके पर आज उनकी एक ऐसी पारी के बारे में बताएंगे, जिसे कभी नहीं भूला जा सकता है।
संजय मांजरेकर, टीम को हार से था बचाया
दरअसल, साल 1987 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने वाले संजय मांजरेकर ने टेस्ट करियर में 4 शतक जड़े, जिनमें से एक शतक काफी खास रहा, जिसकी खूब चर्चा भी हुई। ये शतक साल 1992 में 18 अक्टूबर को शुरू हुए टेस्ट मैच में बना। जिम्बाब्वे ने पहली पारी में 456 रन बनाए थे। इसके बाद मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी वाली भारतीय टीम का टॉप आर्डर फ्लॉप रहा।
11 रन पर आउट हुए तो खाता तक नहीं खोल सके और कप्तान अजहरुद्दीन 9 रन पर विकेट गंवा बैठे। टीम इंडिया ने 5 विकेट 101 रन पर गंवा दिए थे, लेकिन संजय मांजरेकर ने करीब 9 घंटे तक बल्लेबाजी की ओर टीम का स्कोर 300 के पार पहुंचाने में अहम योगदान दिया और भारत को हार से बचाया। ये टेस्ट मैच ड्रॉ पर समाप्त हुआ था।
बता दें कि संजय मांजरेकर का जन्म 12 जुलाई 1965 को मंगलुरु में हुआ था। उनके पिता विजय मांजरेकर भी काफी मशहूर क्रिकेटर थे, जिनके नक्शेकदम पर ही संजय ने क्रिकेट में अपनी काबिलियत का नजारा पेश किया, लेकिन वह भारत के लिए ज्यादा मैच नहीं खेल पाए और 32 साल की उम्र में क्रिकेट से संन्यास ले लिया था।
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India