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नेपाल में भूकंप से भीषण तबाही, जानिए पूरा मामला?

नेपाल में शुक्रवार रात आए भूकंप से मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर अब 140 हो गया है। जाजरकोट और रुकुम पश्चिम जिले में भूकंप का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला है। राहत और बचाव कर्मियों ने मलबों को हटाने का काम शुरू कर दिया है।

नेपाल में शुक्रवार रात आए भूकंप ने भीषण तबाही मचाई है। यह भूकंप आठ साल में आया सबसे भीषण भूकंप है, जिसमें अब तक 140 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। भूकंप के बाद राहत और बचाव कर्मियों ने रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया है।

नेपाल में भूकंप कब आया?

नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, यह भूकंप शुक्रवार रात 11 बजकर 47 मिनट पर आया है। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 मापी गई। वहीं, जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियो साइसेंज ने बताया कि भूकंप की तीव्रता 5.7 थी, जबकि अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षम के अनुसार भूकंप की तीव्रता 5..6 थी।

मरने वालों की बढ़ सकती है संख्या

न्यूज एजेंसी रायटर के मुताबिक, अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। जाजरकोट जिले के अधिकारी हरीश चंद्र शर्मा के मुताबिक, घायलों की संख्या सैकड़ों में हो सकती है।

भूकंप के समय सो रहे थे लोग

अधिकारियों ने बताया कि भूकंप की तीव्रता गंभीर नहीं थी, लेकिन क्षेत्र में निर्माण की खराब गुणवत्ता के कारण नुकसान और मरने वालों की संख्या अधिक होने की संभावना है। भूकंप आने के समय लोग सो रहे थे। उन्होंने बताया कि बचाव कार्य धीमा होने की आशंका है, क्योंकि आपातकालीन टीमों को कई स्थानों पर भूस्खलन से अवरुद्ध हुई सड़कों को साफ करना होगा।

भूकंप में मारे गए थे नौ हजार लोग

इससे पहले, 2015 में आए दो भूकंपों में करीब नौ हजार लोग मारे गए थे। पूरा कस्बा, सदियों पुराना मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल तब मलबे में तब्दील हो गए थे। इसके साथ ही, 10 लाख से अधिक घर तबाह हो गए थे।

जाजरकोट और रुकुम पश्चिम जिले में भूकंप का सबसे ज्यादा असर

अधिकारियों ने बताया कि करनाली प्रांत के जाजरकोट में 99 लोग मारे गए, जबकि 55 लोग घायल हुए। वहीं, रुकुम पश्चिम जिले में 38 लोग मारे गए, जबकि 85 लोग घायल हुए। भूकंप का केंद्र रमीडांडा गांव में था। अधिकारियों ने बताया कि भूकंप से जाजरकोट में तीन कस्बे और तीन गांव बुरी तरह प्रभावित हुए, जिनकी आबादी एक लाख 90 हजार है।

भारत में भी दिखा भूकंप का असर

भूकंप के झटके लगभग 600 किमी दूर नई दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में महसूस किए गए, जिससे इमारतें हिल गईं और लोगों को सड़क पर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में किसी तरह का नुकसान होने की खबर नहीं आई है।

पीएम मोदी ने व्यक्त किया शोक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वह नेपाल में भूकंप से हुए जानमाल की हानि और क्षति से काफी दुखी हैं। भारत नेपाल के लोगों के साथ एकजुटता और हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। हमारी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ है।