मां लक्ष्मी को गन्ना बहुत प्रिय है। दिवाली पर गन्ने से मां लक्ष्मी की मूर्ति तैयार की जाती है। गन्ने की खपत बढ़ने से इसके दाम भी बढ़ गए हैं। नगर में एक गन्ना 90 से 115 रुपये में बिक रहा है।
दिवाली पर गन्ने से मां लक्ष्मी की मूर्ति तैयार की जाती है। गन्ने की खपत बढ़ने से इसके दाम भी बढ़ गए हैं। नगर में एक गन्ना 90 से 115 रुपये में बिक रहा है। रविवार को दिवाली पर गन्ने की मांग अधिक रहने पर कीमतों में और भी अधिक इजाफा हो सकता है।
जिले में अधिकतर स्थानों पर महालक्ष्मी पूजा के दिन गन्ने से मां लक्ष्मी की मूर्ति बनाई जाती है। गन्ने से बनी मां लक्ष्मी की मूर्ति की लोग विधि-विधान से पूजा करते हैं। पहाड़ में गन्ने की खेती बहुत कम होती है। कुछ लोग घरों के आसपास गन्ना उगाते हैं लेकिन अब बंदरों के आतंक के चलते लोगों ने गन्ना उगाना भी छोड़ दिया है। गन्ने के लिए मैदानी क्षेत्रों पर निर्भर रहना पड़ता है। दिवाली पर गन्ने की मांग काफी बढ़ गई है। नगर के लाला बाजार, चौक बाजार, मिलन चौक समेत अन्य बाजारों में हल्द्वानी से काफी संख्या में गन्ना बिकने आया है। पिछले साल एक गन्ना जहां 40 से 60 रुपये में आता था इस बार एक गन्ना 90 से 115 रुपये में बिक रहा है।
गन्ने से मूर्ति बनाए जाने पर प्रसन्न होती हैं मां लक्ष्मी
मां लक्ष्मी को गन्ना बहुत प्रिय है। जैंती (सूरी) के पंडित पीतांबर गुरुरानी ने बताया कि गन्ना मां लक्ष्मी के सबरस भोजन में शामिल हैं। गन्ने को मां लक्ष्मी, श्री, धन का स्वरूप माना जाता है। गन्ने से मां लक्ष्मी की मूर्ति बनाए जाने पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है इसलिए दिवाली के दिन गन्ने से मां लक्ष्मी की मूर्ति बनाई जाती है। मां लक्ष्मी का जन्म इक्षु सागर से हुआ। इक्षु सागर का जल मीठा था। संस्कृत में इक्षु का अर्थ गन्ना है। इस वजह से भी मां लक्ष्मी की मूर्ति गन्ने से बनाई जाती है। उनके प्रतीक के रूप में गन्ने का पूजन होता है। पीतांबर के मुताबिक पूजा के बाद गन्ने की मूर्ति को नदी या पानी में विसर्जित करें। यदि सिर्फ गन्ने के तने की पूजा की हो तो उसे प्रसाद के रूप में बांट सकते हैं।