सर्वोच्च न्यायालय ने ईडी अधिकारियों से जुड़े संदेशखाली मामले में उच्च न्यायालय के सीबीआई जांच के आदेश में दखल देने से इनकार किया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल पुलिस और सरकार के खिलाफ उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को हटा दिया।
शीर्ष अदालत ने सोमवार कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई शुरू की। उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर हमले से जुड़े मामले में सीबीआई जांच का निर्देश दिया था।
शेख की इतने दिनों तक क्यों नहीं हुई गिरफ्तारी?
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वकील से उच्चतम न्यायालय ने पूछा कि निलंबित तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता शाहजहां शेख को इतने दिनों में गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।
पश्चिम बंगाल सरकार ने दिया यह जवाब
राज्य सरकार के वकील ने जवाब दिया कि उच्च न्यायालय ने जांच पर रोक लगा दी थी और अदालत से निर्देश मिलने के बाद एक दिन के भीतर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। वकील ने अदालत को यह भी बताया कि सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने ईडी अधिकारियों से जुड़े संदेशखाली मामले में उच्च न्यायालय के सीबीआई जांच के आदेश में दखल देने से इनकार किया। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस और सरकार के खिलाफ उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को हटा दिया।
सीबीआई ने शेख के नौ करीबियों को भेजा समन
वहीं, एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शेख के नौ करीबियों को समन जारी किया है। एजेंसी ने उन्हें आज पेश होने के लिए कहा है। सीबीआई को इन नौ लोगों पर संदेह है कि इन्होंने ईडी के अधिकारियों पर हमला किया।
हमले के बाद फरार हो गए थे शाहजहां शेख
सीबीआई ने पांच जनवरी की घटनाओं से जुड़े तीन मामलों की जांच अपने हाथ में ली है। ईडी के अधिकारी राशन वितरण घोटाला मामले की जांच के सिलसिले में तलाशी लेने के लिए पश्चिम बंगाल गई थी। जिस दौरान शेख के समर्थकों ने कथित तौर पर उन पर हमला किया था। इस मामले में एक पश्चिम बंगाल के एक पूर्व मंत्री को भी गिरफ्तार किया गया। हालांकि, हमले के बाद शाहजहां शेख फरार हो गए। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शाहजहां शेख को 29 फरवरी को गिरफ्तार किया गया।
महिलाओं का उत्पीड़न, जमीन कब्जाने का भी आरोप
शेख और उनके सहयोगियों पर संदेशखाली की महिलाओं ने यौन शोषण और जमीन के पट्टों को जबरन कब्जाने का आरोप भी लगाया है। इस मामले में भाजपा ने राज्य की सत्तारूढ़ टीएमसी सरकार पर शेख को बचाने का आरोप लगाया था। वहीं, टीएमसी ने इन आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाया था।
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