आज यानी सावन के चौथे सोमवार के दिन हरिद्वार हर की पौड़ी पर तीर्थ यात्रियों ने बड़ी संख्या में गंगा में स्नान किया। इसके बाद कनखल में शिव के ससुराल दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भी रुद्राभिषेक किया और शिव का जलाभिषेक किया। सुबह से ही लोग लंबी लाइनों में लगे और शिव का अभिषेक किया। सावन के 1 महीने में भगवान शंकर कनखल में अपने ससुराल में रहते हैं और श्रद्धालु दूर-दूर से आकर भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करते हैं। वहीं एक महीने भगवान शिव कनखल में रहकर अपने भक्तों का कल्याण करते हैं।
दक्षेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी महंत दिगंबर स्वामी विश्वेश्वर पुरी महाराज का कहना है कि शिव का ससुराल कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर सृष्टि के निर्माण के साथ ही सतयुग में स्थापित हुआ है। अपने सास और ससुर को दिए गए वचन के अनुसार, भगवान शिव एक महीने कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर में वास करते हैं। उन्होंने बताया कि कनखल तीर्थ वह स्थान है, जहां सृष्टि के निर्माण के साथ पहली बार शिव और सती का विवाह हुआ। यह सृष्टि का पहला विवाह स्थल है।
वहीं पुरी महाराज ने आगे बताया कि दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सृष्टि का पहला स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है, जिसका प्रभाव 1000 किलोमीटर तक पड़ता है। इस सिद्ध पीठ के 1000 किलोमीटर का क्षेत्र तीर्थ नगरी के रूप में विख्यात रहता है। इसके अतिरिक्त कनखल भगवान शिव और माता सती की कर्मस्थली व साधना स्थली है। साथ ही सती की जन्मस्थली के रूप में भी ये स्थान अपनी महत्ता रखता है।