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डायबिटीज का इशारा करते हैं पैरों में नजर आने वाले ये संकेत

इन दिनों कई लोग डायबिटीज की समस्या से जूझ रहे हैं। यह एक लाइलाज बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं। इसमें आमतौर पर ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है जिसे अगर मैनेज न किया जाए तो शरीर के दूसरे ऑर्गन्स भी डैमेज हो सकते हैं। इसके कुछ संकेत (Diabetes Warning Signs) पैरों में भी नजर आते हैं जिन्हें अनदेखा करना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

डायबिटीज पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। यह बीमारी भारत में भी तेजी से पैर पसारने लगी है। ऐसे में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 14 नवंबर को World Diabetes Day मनाया जाता है। आपको बता दें कि डायबिटीज में व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन की कमी होने लगती है या सेल्स सही तरीके से उसका इस्तेमाल नहीं कर पाते। इस वजह से ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है (Diabetes High Blood Sugar Symptoms)। ब्लड शुगर लेवल बढ़ना कई वजहों से खतरनाक हो सकता है, क्योंकि यह धीरे-धीरे शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करने लगता है।

डायबिटीज के कारण डायबिटीक न्यूरोपैथी, जिसमें नर्व डैमेज होने लगती है, डायबिटीक रेटिनोपैथी, जो आंथों के नर्व्स को नुकसान पहुंचाता है, किडनी डिजीज, हार्ट डिजीज, गॉल ब्लैडर की समस्याएं आदि हो सकते हैं। इतना ही नहीं, डायबिटीज के कारण तनाव, एंग्जायटी, कमजोर इम्युनिटी, ओस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं को खतरा भी रहता है। इसलिए डायबिटीज से बचाव करना और इसे सही तरीके से मैनेज करना बेहद जरूरी है। यह थोड़ा हैरान करने वाला लग सकता है, लेकिन डायबिटीज के कुछ संकेत (Diabetes Warning Signs on Feet) पैरों में भी नजर आते हैं। आइए इसके बारे में डॉ. मनीश पेंडसे (मेडिकवर हॉस्पिटल, खारघर नवी मुंबई, के डायबिटोलॉजिस्ट और सीनियर कंसल्टेंट फिजिशियन) से जानते हैं।

डायबिटीज के पैरों में दिखने वाले संकेत
डॉ. पेंडसे बताते हैं कि वैसे तो डायबिटीज के आम लक्षणों में ज्यादा प्यास लगना और थकान शामिल हैं, लेकिन इसके कई लक्षण ऐसे हैं, जो साफ नजर नहीं आते। ऐसे ही कुछ लक्षण पैरों में दिखाई देते हैं, जिन्हें हम आमतौर पर डायबिटीज से जोड़कर नहीं देखते। डायबिटीज के मरीजों में पैरों में घाव होने और दूसरी कॉम्प्लिकेशन्स का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें इन्फेक्शन और अल्सर भी शामिल हैं। अगर इन परेशानियों पर ध्यान न दिया जाए, तो ये समस्याएं और गंभीर हो सकती हैं।

पैरों के रंग में बदलाव, जो ब्लड फ्लो में रुकावट की वजह से होता है, फंगल इन्फेक्शन, जैसे एशलीट्स फुट ये परेशानियां डायबिटीज के मरीजों में देखने को मिल सकती हैं। यह नर्व डैमेज के कारण होता है, जिसमें पैरों तक सही मात्रा में ब्लड फ्लो नहीं हो पाता है।

इसके अलावा, डायबिटीज के मरीजों को पैरों में अक्सर झनझनाहट या टिंगलिंग जैसा महसूस हो सकता है। यह भी नर्व डैमेज की वजह से होता है। इसके कारण व्यक्ति को पैरों में छोटी-मोटी चोट लगने या फोड़े आदि के बारे में पता नहीं चलता, क्योंकि ठीक से कुछ महसूस नहीं हो पाता है। इसकी वजह से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है और यह समस्या गंभीर हो सकती है।

इसके अन्य संकेतों में त्वचा का रंग और टेक्स्चर बदलना शामिल हैं। डायबिटीज के मरीजों के पैरों की त्वचा अक्सर रूखी होती है और पैर भी ज्यादा फटते हैं। आफको बता दें कि यह ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट की वजह से होता है। इसलिए डायबिटीज रोगियों को अपने पैरों की रोज जांच करनी चाहिए।

इसके अलावा, डायबिटीज के मरीजों को रोज एक्सरसाइज करने, संतुलित आहार खाने, सही वजन बनाए रखने और अपने पैरों का खास ध्यान रखने की जरूरत है। पैरों को अच्छी तरह धोना, सही जूते पहनना और पैरों में कोई समस्या होने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना जरूरी है।