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आज है पौष पूर्णिमा, इस विधि से करें पूजा

हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन लोग सत्यनारायण व्रत रखते और विभिन्न प्रकार के पूजन नियमों का पालन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। इस साल पौष पूर्णिमा (Paush Purnima 2025) 13 जनवरी यानी आज मनाई जा रही है तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

पौष पूर्णिमा का हिंदुओं में बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह तिथि श्री हरि विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा के लिए समर्पित है। कुछ भक्त पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत भी रखते हैं। पौष पूर्णिमा को शाकंभरी पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है और भक्त इस शुभ दिन (Paush Purnima 2025) पर देवी शाकंभरी की पूजा करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल पौष पूर्णिमा आज यानी 13 जनवरी को मनाई जा रही है। इस मौके पर पूजा-पाठ करने के कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन सभी को करना चाहिए, तो आइए यहां पर पूजन विधि जानते हैं।

पौष पूर्णिमा पूजन विधि (Paush Purnima 2025 Puja Vidhi)
सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
इस तिथि पर गंगा नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है, जिसके लिए कुछ लोग हरिद्वार, ऋषिकेष और प्रयागराज के तट पर भी जाते हैं।
इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने देसी घी का दीपक जलाएं, फिर उन्हें फल, फूल, खीर और अन्य चीजें अर्पित कर विधिवत पूजा करें।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें क्षमता अनुसार, दान दें।
इस दिन किसी जरूरतमंद की मदद जरूर करें।
इस मौके पर धर्म-कर्म से जुड़े कार्य करें।
इस मौके पर तामसिक चीजों से परहेज करें।

पौष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Paush Purnima 2025 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 15 मिनट से 02 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। फिर अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 42 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। वहीं, रवि योग और पुनर्वसु योग का शुभ संयोग भी आज बन रहा है। इस दौरान आप स्नान-दान से लेकर किसी भी तरह का शुभ काम कर सकते हैं।

पौष पूर्णिमा मंत्र (Paush Purnima 2025 Shubh Muhurat)
ॐ घृणिः सूर्याय नमः।।
ऊँ सों सोमाय नमः।।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।।