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बच्चों के लिए बीमारी बन रहा है मोबाइल का शौक

मोबाइल फोन इन दिनों लोगों की रूटीन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। बच्चे हो या बड़े हर कोई मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहा है। ऑफिस का काम हो या ऑनलाइन क्लास मोबाइल फोन कई वजहों से जरूरी हो चुका है। हालांकि, बड़े कई बार स्क्रीन टाइम लिमिट कर लेते हैं, लेकिन बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करना काफी मुश्किल हो जाता है।

आजकल के बच्चों में मोबाइल की लत एक बीमारी बन चुकी है। ये एक एडिक्शन हो गया है, जिसकी चपेट में बच्चे तेजी से आते जा रहे हैं। इसके फायदे कम और नुकसान ज्यादा होते हैं। मोबाइल एडिक्शन से बच्चों की नींद डिस्टर्ब होती है, शारीरिक गतिविधि में कमी होती है, जिससे भविष्य में तमाम बीमारियां घेर सकती हैं जैसे मोटापा, डायबिटीज आदि।

बच्चों के लिए हानिकारक मोबाइल फोन
इतना ही नहीं मोबाइल की लत के कारण बच्चे सामाजिक नहीं हो पाते हैं, जिससे आसानी से उनकी मानसिक स्थिति भी खराब होने लगती है। मोबाइल की लत हर तौर पर बच्चे की सेहत और उसके भविष्य से खिलवाड़ है। इसलिए समय रहते सही कदम उठा लेने से इसके बुरे अंजामों से बचा जा सकता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे अपने बच्चों को मोबाइल की लत से बचाने के कुछ कारगर तरीके-

बच्चों को स्क्रीनटाइम का लालच न दें
अक्सर पेरेंट्स होमवर्क पूरा करने पर या खाना खत्म करने पर मोबाइल देने की बात करते हैं। ये उन्हें इस बात का एहसास दिलाता है कि स्क्रीनटाइम एक मोटिवेशन है, जो कि गलत है।

पूरी फैमिली के लिए स्क्रीनटाइम फिक्स करें
जब पूरी फैमिली एक ही नियम फॉलो करेगी तब बच्चों को इसका पालन करने में ज्यादा समस्या नहीं होगी। बच्चे उस चीज के लिए ज्यादा ललचाते हैं, जो घर में अन्य लोगों के पास हो और सिर्फ उनके पास न हो। लेकिन जब बच्चे हों या बड़े, सभी पर स्क्रीनटाइम का एक ही नियम लागू होगा, तो वे आसानी से अपने बड़ों से प्रेरित हो कर इसे फॉलो कर लेंगे।

रोजाना स्क्रीनटाइम तय करें
दिन में या हफ्ते में कितनी देर के लिए स्क्रीनटाइम की परमिशन है, ये तय करें। फिर गलती से भी उसके अतिरिक्त बच्चों को मोबाइल न देखने दें। इससे उन्हें नियम तोड़ने का बढ़ावा नहीं मिलेगा।

आउटडोर एक्टिविटी में शामिल करें
जितना संभव हो बच्चे को आउटडोर एक्टिविटी में शामिल करें, जिससे बच्चे अच्छे से थक जाएं और उन्हें स्क्रीनटाइम के लिए समय भी न बचे। इससे उनकी इम्युनिटी भी मजबूत होगी और वे मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहेंगे।