मौसम चाहे सर्दियों का हो या फिर गर्मियों का! स्किन को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाना बेहद जरूरी होता है और इसमें हमारी सबसे अच्छी दोस्त कौन होती है? जी हां बिल्कुल सही पहचाना आपने- Sunscreen लेकिन क्या आप जानते हैं कि मार्केट में इतनी सारी सनस्क्रीन मौजूद है कि इनमें से कोई एक चुनना किसी चैलेंज से कम नहीं है।
हाल ही में, एक इंस्टाग्राम रील के जरिए डर्मेटोलॉजिस्ट इफ्तिखार खान ने ऐसी 5 जरूरी (Tips For Choosing Sunscreen) बातें बताई हैं, जिन्हें Sunscreen खरीदने से पहले जानना आपके लिए बेहद फायदेमंद होगा। जी हां, ये गोल्डन रूल्स आपकी त्वचा को पूरी सुरक्षा देंगे जिनसे आप बेफिक्र होकर धूप में घूम सकेंगे और टैनिंग की परेशानी भी नहीं होगी। आइए जानते हैं।
SPF फैक्टर
सबसे पहले, जिस चीज पर हमारी नजर जाती है, वह है SPF यानी सन प्रोटेक्शन फैक्टर। यह नंबर बताता है कि सनस्क्रीन आपको UVB किरणों से कितनी देर तक बचा सकता है। बता दें, UVB किरणें ही हैं, जो त्वचा को टैन करती हैं और सनबर्न का कारण बनती हैं।
अगर आप रोजमर्रा के काम कर रहे हैं और हल्की-फुल्की धूप में निकलते हैं, तो SPF 30 काफी है, लेकिन अगर आप लंबे समय तक धूप में रहने वाले हैं, जैसे बीच या पहाड़ों पर, तो SPF 50 या उससे ज्यादा चुनना बेहतर होगा। याद रखें, ज्यादा SPF का मतलब ये नहीं कि आप पूरे दिन सुरक्षित हैं। हर 2-3 घंटे में सनस्क्रीन दोबारा लगाना बहुत जरूरी है।
PA फैक्टर
सिर्फ SPF ही काफी नहीं है! UVA किरणें भी हमारी स्किन के लिए उतनी ही खतरनाक होती हैं। ये किरणें एजिंग को तेज करने, झुर्रियां पैदा करने और समय से पहले बुढ़ापा लाने के लिए जिम्मेदार होती हैं। यहीं पर आता है PA फैक्टर का रोल।
PA रेटिंग को ‘प्लस’ (+) सिंबल से दर्शाया जाता है।
PA+: हल्की सुरक्षा
PA++: मध्यम सुरक्षा
PA+++: अच्छी सुरक्षा
PA++++: बेहतरीन सुरक्षा
हमेशा ऐसी सनस्क्रीन चुनें, जिसमें कम से कम PA+++ हो, ताकि आपकी त्वचा को UVA और UVB दोनों से पूरी सुरक्षा मिल सके। बता दें, इसे ‘ब्रॉड-स्पेक्ट्रम’ सनस्क्रीन भी कहते हैं।
कंसिस्टेंसी
सनस्क्रीन कई फॉर्म में आते हैं – क्रीम, जेल, लोशन, स्प्रे और स्टिक। ऐसे में, आप अपनी स्किन टाइप के अनुसार सही कंसिस्टेंसी चुनना बहुत जरूरी है। ऑयली या Acne-Prone Skin के लिए जेल-बेस्ड या लाइट लोशन सबसे अच्छे रहेंगे। ये चिपचिपे नहीं होते और पोर्स को भी ब्लॉक नहीं करते। वहीं, ड्राई या नॉर्मल स्किन टाइप के लिए क्रीम-बेस्ड या रिच लोशन बेस्ट हैं, जो त्वचा को नमी देने के साथ-साथ इसे सूरज से भी बचाते हैं। साथ ही, सेंसिटिव स्किन वाले लोगों के लिए मिनरल सनस्क्रीन (जिंक ऑक्साइड या टाइटेनियम डाइऑक्साइड वाले) चुनना बेहतर है, क्योंकि ये स्किन पर लाइट होती है।
ऑइल-फ्री और नॉन-कॉमेडोजेनिक
अगर आपकी त्वचा ऑयली है या आपको मुंहासे बहुत होते हैं, तो यह प्वाइंट आपके लिए ‘गेम चेंजर’ साबित होगा। हमेशा ऐसी सनस्क्रीन चुनें, जिस पर ‘ऑइल-फ्री’ और ‘नॉन-कॉमेडोजेनिक’ लिखा हो।
ऑइल-फ्री: मतलब इसमें कोई एक्स्ट्रा ऑयल नहीं है, जो आपकी त्वचा को और ज्यादा ऑयली बना दे।
नॉन-कॉमेडोजेनिक: इसका मतलब है कि यह आपके स्किन पोर्स को बंद नहीं करेगा, जिससे मुंहासे होने की संभावना कम हो जाती है।
यह खासकर गर्मियों में बहुत जरूरी है, जहां पसीना और ह्यूमिडिटी ज्यादा होती है।
वॉटर-रेसिस्टेंट या वॉटर-प्रूफ
क्या आप जिम जाते हैं, स्विमिंग करते हैं, या बहुत पसीना बहाते हैं? तो यह आखिरी प्वाइंट आपके लिए ही है। आपको ऐसी सनस्क्रीन चुननी चाहिए, जिसपर ‘वॉटर-रेसिस्टेंट’ या ‘वॉटर-प्रूफ’ लिखा हो।
वॉटर-रेसिस्टेंट: इसका मतलब है कि सनस्क्रीन 40 या 80 मिनट तक पानी या पसीने के संपर्क में आने के बाद भी प्रभावी रहेगी।
वॉटर-प्रूफ: आमतौर पर अब इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाता, क्योंकि कोई भी सनस्क्रीन पूरी तरह से ‘वॉटर-प्रूफ’ नहीं होती है, लेकिन ‘वेरी वॉटर-रेसिस्टेंट’ या ‘स्पोर्ट’ वाली सनस्क्रीन बेहतर सुरक्षा देती है। अगर आप स्विमिंग कर रहे हैं या बहुत पसीना बहा रहे हैं, तो वॉटर-रेसिस्टेंट सनस्क्रीन भी हर 40 या 80 मिनट बाद दोबारा लगाना न भूलें।