शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राऊत ने कहा कि उद्धव और राज ठाकरे का साथ आना मराठी जनता के लिए उम्मीद की किरण है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह मुंबई को लूटकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने और महाराष्ट्र की एकता तोड़ने की साजिश रच रही है। राऊत ने फडणवीस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अगर ठाकरे भाइयों की एकता न रही, तो मुंबई अदाणी-लोढ़ा के हाथों चली जाएगी।
शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राऊत ने रविवार को कहा कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का साथ आना समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर दोनों ठाकरे भाई एक हो जाते हैं, तो महाराष्ट्र को नई दिशा मिलेगी। साथ ही राऊत ने भाजपा पर आरोप लगाया कि भाजपा की नीति है पहले मुंबई को लूटो, फिर उसे केंद्रशासित प्रदेश बनाओ, फिर विदर्भ को अलग राज्य बनाकर महाराष्ट्र की एकता को खत्म कर दो। बता दें कि संजय राऊत ने यह बात शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना के साप्ताहिक कॉलम रोक-ठोक में लिखी। उन्होंने दावा किया कि भाजपा को महाराष्ट्र की एकता या मराठी अस्मिता से कोई मतलब नहीं है।
देवेंद्र फडणवीस पर भी साधा निशाना
राऊत ने यह भी याद दिलाया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक समय नागपुर में विदर्भ मेरा अपना राज्य है, जैसे बैनर लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं। राऊत ने कहा कि अगर उद्धव और राज ठाकरे की एकता बनी नहीं रही, तो मुंबई अदाणी-लोढ़ा के हाथों चली जाएगी, और एक दिन वह महाराष्ट्र का हिस्सा भी नहीं रह जाएगी।
‘ठाकरे भाइयों का साथ मारठी जनता के लिए आशा की किरण’
राऊत ने लिखा कि ठाकरे भाइयों का साथ आना मराठी जनता के लिए आशा की किरण है, लेकिन यह सिर्फ एक शुरुआत है। उन्होंने कहा, “अब तक दोनों दलों के बीच राजनीतिक गठबंधन की औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन यह ज़रूरी है कि गठबंधन हो। तभी महाराष्ट्र को सही दिशा मिल सकती है।
उन्होंने कहा कि जो लोग ये सोचते हैं कि ठाकरे दबाव में आ जाएंगे, वे मुगालते में हैं। राऊत ने यह भी कहा कि मराठी जनता को सबसे पहले मुंबई और ठाणे को बचाने की लड़ाई लड़नी होगी, क्योंकि आने वाले समय में यहां नगर निकाय चुनाव होने वाले हैं।
एक मंच पर दिखे ठाकरे बंधु
गौरतलब है कि बीते पांच जुलाई को उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे लगभग 20 साल बाद एक मंच पर नजर आए, जब राज्य सरकार ने कक्षा एक से हिंदी थोपने के दो सरकारी आदेश वापस लिए। इस मौके पर उद्धव ने कहा था कि हम साथ आए हैं और साथ ही रहेंगे, जिससे दोनों भाइयों की नज़दीकियों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई।
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