मानसूनी बारिश ने भ्रष्टाचार और अधिकारियों के कमीशन की पोल खोलकर रख दी है। चंद दिन पहले बनीं सड़कों पर गड्ढे के रूप में गहरे जख्म हो गए हैं। मुख्य सड़कों पर सफर खतरों से खाली नहीं है। पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोग भी परेशान हैं। सब कुछ दिखाई देने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों को जरा भी फर्क नहीं पड़ता। अगर उन्हें आम जनता की समस्याओं से थोड़ा सा भी वास्ता होता तो शहर की सड़कों की इतनी दुर्दशा नहीं होती।
अमर उजाला ने बृहस्पतिवार को शहर से चार मुख्य मार्गाें की पांच-पांच किलोमीटर तक पड़ताल की तो गड्ढे सड़कों का पीछा छोड़ते नहीं दिखे। लोगों ने कहा कि हल्द्वानी की सूरत भले ही बदल गई हो लेकिन सड़कों की हालत आज भी जस की तस है। हर समस्या का समाधान करने वाले कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत काे दफ्तर ने निकलकर इन सड़कों की हालत एक बार जरूर देखनी चाहिए।
बरेली रोड
तीनपानी के पास से उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय को आने वाली सड़क तक गहरे गड्ढे हैं। जिम्मेदारों ने अपनी नाकामी को छिपाने के लिए डामर के ऊपर सीमेंट के ब्लाॅक डाल दिए हैं। बावजूद इसके लोगों को राहत नहीं मिली है। इसी के बगल में फिर गड्ढे हो गए हैं। मंडी के मुख्य गेट के बाहर ब्लाॅक उखड़ गए हैं। मंडी बाईपास पर सड़क के दोनों छोर पर गड्ढे बने हैं। पास में दुकान चलाने वाले रोशन लाल कहते हैं कि जनता इन गड्ढों में गिरकर मर जाए लेकिन देखने और सुनने वाला कोई नहीं है।
नैनीताल रोड
काठगोदाम में रोडवेज बस स्टेशन के बाहर तक सड़क पर कई जगह गड्ढे हैं। यहीं से होकर बाहरी राज्यों के पर्यटक नैनीताल जाते हैं। पर्वतीय जिलों की ओर जाने वाले लोगों की आवाजाही का भी यही मुख्य मार्ग है। गड्ढों के पास पहुंचते ही वाहनों की रफ्तार थम रही है। पर्यटक सिस्टम को कोसते हुए निकल रहे थे। इस सड़क को दो महीने पहले तब बनाया गया था जब इसका चौड़ीकरण हुआ था। अब यह टूटी सड़क भ्रष्टाचार को उजागर कर रही है।
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