बस्तर के माओवादी हिंसा पीड़ितों ने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी के खिलाफ मोर्चा खोला है। पीड़ितों ने सांसदों को पत्र लिखकर रेड्डी के समर्थन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सलवा जुडूम पर प्रतिबंध के बाद माओवादियों द्वारा मचाए गए कोहराम का जिक्र किया। पीड़ितों का मानना है कि रेड्डी के फैसले से माओवादियों को बढ़ावा मिला और आदिवासियों को नुकसान हुआ।
माओवादी हिंसा पीड़ितों का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार जस्टिस रेड्डी के खिलाफ मोर्चा
विपक्ष के उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी के खिलाफ माओवादी हिंसा के शिकार हुए पीड़ितों ने मोर्चा खोल दिया है। माओवादी हिंसा के केंद्र में रहे बस्तर के पीड़ितों ने सभी सांसदों को पत्र लिखकर एक नक्सल समर्थक को देश के सबसे बड़े पद पर बिठाने की कोशिश पर सवाल उठाया है।
उनके अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सलवा जुडूम खत्म होने के बाद माओवादियों ने बस्तर में कोहराम मचाया था और सैंकड़ों युवाओं को मौत के घाट उतार दिया था। उत्तर बस्तर में कांकेर के चारगांव के उपसरपंच रहे 56 वर्षीय सियाराम रामटेके ने अपने पत्र में लिखा कि सलवा जुडूम आंदोलन बस्तर के आदिवासियों का अपना आंदोलन था, जो लंबे से समय नासूर बन चुके माओवाद के आतंक को खत्म करना चाहते थे।
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