हर्षिल की तेलगाड के मुहाने के पास बृहस्पतिवार को हुए भूस्खलन के कारण दो छोटी-छोटी झीलें बन गई हैं। इस बात का खुलासा भारतीय सेना द्वारा उच्च तकनीक वाले ड्रोन से ली गई तस्वीरों में हुआ है। हालांकि इन झीलों का आकार अभी बहुत बड़ा नहीं है लेकिन ये भविष्य में खतरे का कारण बन सकती हैं।
बृहस्पतिवार को हुए भूस्खलन की जोरदार आवाज सुनकर हर्षिल और आस-पास के क्षेत्रों में दहशत फैल गई थी। मलबा और बड़े बोल्डर आने से तेलगाड का बहाव भी कम हो गया था। एसडीआरएफ की टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचने की कोशिश की लेकिन खराब मौसम के कारण वे सफल नहीं हो पाए।
भूस्खलन वाले स्थान पर दो छोटी झीलें साफ नजर आईं
शुक्रवार को मौसम थोड़ा साफ होने पर एसडीआरएफ ने दोबारा ड्रोन से निरीक्षण करने का प्रयास किया लेकिन तेज हवाओं के चलते ड्रोन उड़ नहीं सका। इसी बीच सुरक्षा कारणों को देखते हुए सेना ने अपने उच्च तकनीक वाले ड्रोन से क्षेत्र की तस्वीरें और वीडियो लिए जिसमें भूस्खलन वाले स्थान पर दो छोटी झीलें साफ नजर आईं।
तेलगाड का बहाव फिलहाल शांत
एसडीआरएफ के निरीक्षक जगदंबा प्रसाद ने बताया कि सेना के ड्रोन फुटेज में तेलगाड में भूस्खलन स्थल के पास दो झीलों की तस्वीरें मिली हैं जिनका आकार अभी अधिक बड़ा नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि तेलगाड का बहाव फिलहाल शांत है। एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचने की कोशिश कर रही हैं ताकि स्थलीय निरीक्षण कर स्थिति का सही आकलन किया जा सके। इसके लिए प्रशासन से उच्च तकनीकी ड्रोन की भी मांग की गई है।
हर्षिल में नहीं हो रहा झीलों का खतरा कम
गत माह पांच अगस्त को तेलगाड के ऊफान पर आने के कारण पानी के साथ करीब 15 फीट मलबा बह कर आया था। उसमें सेना के करीब 9 जवान लापता हो गए थे और सैन्य कैंप को बहुत नुकसान हुआ था। हालांकि उन लापता में से एक सैनिक का शव मिल चुका है।
मलबे ने भागीरथी नदी का प्रवाह रोका
तेलगाड में आए मलबे ने भागीरथी नदी का प्रवाह रोक दिया था। इस कारण भागीरथी नदी में करीब एक से डेढ़ किमी लंबी झील बन गई थी। इसमें हर्षिल हेलीपैड और गंगोत्री हाईवे का करीब 100 मीटर हिस्सा डूब गया था। हालांकि डबरानी और सोनगाड में गंगोत्री हाईवे सुचारू होने के बाद वहां पर मशीनें पहुंची हैं और भागीरथी नदी मेंं बनी झील को खोलने का कार्य चल रहा है।
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