दांत केवल काटने और चबाने के काम ही नहीं आते। वे आपके चेहरे की सुंदरता बढ़ाने में भी प्रमुख भूमिका अदा करते हैं। मुंह व दांतों में पाए जाने वाली बीमारियों में प्रमुख पायरिया या मसूड़ों में होने वाला संक्रमण है, जो प्लाक एवं टार्टर के जमने के कारण होता है।
प्लाक भोजन के कणों और कीटाणुओं से बनी एक अदृश्य चिकनी परत है, जो दांतों की सतह पर सुबह उठने के बाद महसूस की जा सकती है। इसी प्लाक में जब लार में मौजूद खनिज जमा हो जाते हैं तो ये कड़े पत्थर रूपी टार्टर या कैल्कुलस में परिवर्तित हो जाता है। प्लाक में मौजूद कीटाणु एंजाइम व अन्य विषाक्त पदार्थ बनाते हैं, जो मसूड़ों को हानि पहुंचाते हैं।
मसूड़ों का संक्रमण मुख्यतः दो प्रकार से होता है। जिनजिवाइटिस या मसूड़ों में सूजन, जिससे मसूड़े लाल होकर फूल जाते हैं और उनसे खून आने लगता है। दूसरा है पेरियोडाटाइटिस, जो मसूड़ों का गंभीर रोग है। इसमें मसूड़े दांतों से अलग होने लगते हैं और दांतों को सहारा देने वाली हड्डी गलने लगती है। इस स्थिति में मसूड़ों से स्वतः खून आने लगता है, मुंह से बदबू आती है और दांतों के हिलने से उनके बीच गैप आने लगता है।
दंतक्षय के लक्षण
यदि प्लाक को नियमित रूप से टूथब्रश द्वारा साफ न किया जाए तो उसमें उपस्थित कीटाणु भोजन की शर्करा को अम्ल में परिवर्तित कर देते हैं, जिससे दांतों की सबसे ऊपरी सतह इनैमल में गड्ढे होने लगते हैं।
दंत क्षय के लक्षणों में प्रमुख हैं, दांतों में दर्द, ठंडा-गरम लगाना, दांतों में काले या भूरे रंग के दाग दिखाई देना ।
संवेदनशीलता या संसिटिविटी
जब दांतों की ऊपरी सतह किन्हीं कारणों से निकल जाती है या घिस जाती है, तब दांतों में ठंडी और गर्म चीजों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है। इसका मुख्य कारण इनैमल का घिसाव, दंत क्षय, मसूड़ों में संक्रमण, दांतों में आई दरार या टूटे हुए दांत होते हैं। सेंसिटिविटी के कारण मीठा और खट्टा भोजन खाने में भी परेशानी होती है।
टेढ़े-मेढ़े बाहर उभरे दांत
इन दिनों अधिकतर बच्चों के दांत टेढ़े-मेढ़े निकलते हैं, जो बाहर उभरे हुए होते हैं। इसका मुख्य कारण आनुवंशिकी, अंगूठा चूसने की आदत या जबड़े में चोट लगना हो सकता है। इससे बच्चों को खाना चवाने, सांस लेने और बोलने में दिक्कत आती है ये ठीक से दांतों की सफाई भी नहीं कर पाते हैं।
बचाव के उपाय
कुछ भी खाने के बाद पानी से अच्ची तरह कुल्ला करें।
दिन में दो बार अच्छे ब्रश से दांतों की सफाई करें।
रात को सोने से पहले ब्रश अवश्य करें, क्योंकि रात में कीटाणुओं को एसिड बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।
हर तीन-चार माह में ब्रश बदलें।
ब्रश करने के लिए दो-तीन मिनट का समय पर्याप्त है।
दांतों के बीच फंसे खाने के कण जो ब्रश से नहीं निकल पाते, उन्हें फ्लॉस से निकालें। ब्रशिंग व फ्लॉसिंग का सही तरीका किसी डेंटिस्ट से सीखा जा सकता है।
कीटाणुरोधक माउथवॉश के उपयोग से भी दंतक्षय से बचा जा सकता है।
जीभ की सफाई भी नियमित रूप से करें।
सही टूथ पेस्ट कैसे चुनें?
आम तौर पर सभी सामान्य टूथपेस्ट की रासायनिक संरचना एक-सी होती है और दांतों के बीच में फंसे भोजन के कण इनमें केवल स्वाद और रंग का ही अंतर जो ब्रश से नहीं निकल पाते, उन्हें फ्लास से होता है । कुछ टूथपेस्ट, जो किसी विशेष निकालें। ब्रशिंग व फ्लासिंग का सही तरीका परिस्थिति में उपयोग में लाए जाते हैं, उनमें किसी डेंटिस्ट से सीखा जा सकता है। अतिरिक्त रसायन मिलाए जाते हैं।
सेंसिटिव कीटाणुरोधक माउथवाश के उपयोग से भी दांतों में इस्तेमाल किए जाने वाले टूथपेस्ट दंतक्षय से बचा जा सकता है। में पोटेशियम नाइट्रेट या स्टेनस फ्लोराइड मिलाया जाता है, परंतु इन पेस्ट का चुनाव दंत चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करें। एक आम पेस्ट में फ्लोराइड, झाग पैदा करने के लिए डिटर्जेंट, नमी बनाए रखने के लिए सार्बिटाल या ग्लिसराल और गाढ़ापन लाने के लिए सेल्यूलोज मिलाया जाता है।
पेस्ट में रंग, कीटाणुरोधी रसायन और मिठास के लिए स्वीटनर्स मिलाए जाते हैं। अधिक खुरदरे पदार्थ या चारकोल वाले टूथपेस्ट दांतों को जल्दी ही घिस देते है। शिशुओं को दूध पिलाने के बाद उनके दांतों और मसूड़ों को मुलायम कपड़े या रूमाल से पोंछकर साफ करें।
खानपान का ध्यान
स्वस्थ आहार जैसे रेशेदार ताजे फल सब्जियां एवं कैल्शियम से भरपूर खाद्यपदार्थों का सेवन करें।
बेकरी उत्पाद, जैसे पिज्जा, ब्रेड, बिस्किट, पेस्ट्री |और चाकलेट दांतों पर आसानी से चिपके रह जाते हैं, जिससे दंत क्षय की आशंका अधिक होती है ।
सॉफ्ट ड्रिंक्स का अधिक उपयोग दांतो की ऊपरी परत एनामेल को नुकसान पहुंचाता है।
धूम्रपान, तंबाकू और पान मसालों से बचना चाहिए। ये मुख के स्वास्थ्य के लिए बड़ा जोखिम है।
भोजन के बीच मिठाई न खाएं |
अपने दंत चिकित्सक से हर छह माहमें नियमित जांच कराएं।
बेकरी उत्पादों मे शर्करा की मात्र अत्यधिक होती है ।
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