बंगाल भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने एक विस्फोटक बयान देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। सार्वजनिक रूप से दावा किया कि भाजपा ने बंगाल में कांग्रेस को तोड़कर तृणमूल कांग्रेस को जन्म दिया था।
बुधवार को एक कार्यक्रम में पत्रकारों के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी न होते, तो तृणमूल का जन्म ही न होता। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमने कांग्रेस को तोड़कर ममता बनर्जी की पार्टी को जन्म दिया।
शमिक ने दावा किया कि भाजपा ने कांग्रेस को कमजार करने और बंगाल की राजनीतिक स्थिति बदलने के लिए यह रणनीति अपनाई थी। तृणमूल को एक बदतमीज बच्चा भी कहा, जिसे बंगाल की जनता संभाल नहीं सकती।
भाजपा किसी पार्टी को तोड़कर नहीं बनी है, बल्कि अपनी विचारधारा के दम पर वह 2 से 303 सीटों तक पहुंची है। ममता ने 1998 में बनाई थी पार्टी बताते चलें कि ममता ने कांग्रेस से अलग होकर एक जनवरी 1998 को तृणमूल की स्थापना की थी। जिस भाजपा से ममता की पार्टी तृणमूल को अब सीधी टक्कर है, एक जमाने में ममता उसके साथ गठबंधन का हिस्सा थी।
कुड़मी आंदोलन रोकने को बंगाल सरकार उचित कार्रवाई करें
कलकत्ता हाई कोर्ट की खंडपीठ ने गुरुवार को भारतीय रेलवे अधिकारियों और बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वे उचित कार्रवाई करें ताकि 20 सितंबर को कुड़मी समुदाय के लोगों द्वारा रेल रोको आंदोलन का उस दिन जनजीवन पर कोई असर न पड़े।
बताते चलें कि 2023 में हाई कोर्ट ने कुड़मी समुदाय के आंदोलन पर रोक लगा दी थी। मालूम हो कि कुड़मी समुदाय को एसटी का दर्जा देने की मांग पर झारखंड में राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन तेज हो गया है।
कुड़मी संगठन झारखंड, ओडिशा और बंगाल में कई आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं, अन्य आदिवासी समूह इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं, जिससे टकराव की आशंका है। पिछले महीने, कुड़मी समुदाय के सबसे बड़े संगठन आदिवासी कुड़मी समाज ने बंगाल, झारखंड और ओडिशा के तीन राज्यों में आदिवासी बहुल इलाकों में एक साथ रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया था।
पीठ ने सख्त लहजे में कही ये बात
रेल रोको आंदोलन के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट की जस्टिस सुजय पाल और जस्टिस स्मिता दास दे की खंडपीठ में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि आंदोलन से राज्य सरकार और रेलवे को भारी वित्तीय नुकसान होगा। मामला गुरुवार को सुनवाई के लिए आया। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि 2022 और 2023 में भी इसी मांग को लेकर कुड़मी समुदाय के लोगों ने रेल रोको आंदोलन किया था, जिससे भारी नुकसान हुआ था।