Wednesday , November 26 2025

भूपेश का धान खरीदी,एसआईआर और जमीन की गाइडलाइन दरों को लेकर साय सरकार पर तीखा हमला

रायपुर, 25 नवंबर।कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धान खरीदी, सर्वर समस्या, एसआईआर प्रक्रिया और जमीन की गाइडलाइन दरों को लेकर प्रदेश सरकार पर आज गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि धान खरीदी की बदहाल व्यवस्था से प्रदेशभर के किसान परेशान हैं और कहीं भी सुचारू व्यवस्था देखने को नहीं मिल रही।

  श्री बघेल ने आज पत्रकारों से चर्चा के दौरान आरोप लगाया कि हजारों किसानों के नाम खरीदी सूची से हटाए जा रहे हैं, जबकि कई क्षेत्रों में सर्वर बंद होने से किसान टोकन नहीं कटवा पा रहे हैं। गिरदावरी रिपोर्टों और डिजिटल कॉर्प सर्वे के गलत आंकड़ों के कारण किसानों के रकबे में भारी कटौती की जा रही है। उन्होंने कहा कि 21 क्विंटल प्रति एकड़ खरीदी के बजाय किसानों को 15–17 क्विंटल तक ही बेचने मजबूर किया जा रहा है।

  उन्होंने यह भी दावा किया कि एग्रीटेक पोर्टल की तकनीकी खामियों के चलते बड़ी संख्या में किसानों का रकबा कम दिखाया गया है, जिससे लाखों किसानों का धान खरीदा ही नहीं जाएगा। आदिवासी पट्टाधारी किसानों की स्थिति तो और भी कठिन है। बघेल ने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियों से किसान कोचियों और बिचौलियों के शोषण का शिकार हो रहे हैं।

एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री ने एसआईआर (विशेष पुनरीक्षण) के कार्यान्वयन पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बीएलओ अत्यधिक दबाव में हैं और मुश्किल से फॉर्म जमा कर पा रहे हैं।बघेल ने निर्वाचन आयोग के दावों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यदि 80 मतदान केंद्रों में एसआईआर कार्य पूरा हो चुका है, तो आयोग उन केंद्रों की सूची सार्वजनिक करे।

 उन्होंने कहा कि मतदाता गणना पत्रक वितरण का भी वास्तविक आंकड़ा बहुत कम है—जहाँ आयोग 97% वितरण का दावा कर रहा है, वहीं वास्तविकता लगभग 25% के आसपास है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय चुनाव आयोग मतदाताओं के नाम काटने की कोशिश में जुटा है। इसी संदर्भ में उन्होंने ‘केचुए’ वाली टिप्पणी कर आयोग पर तीखा व्यंग्य भी किया।

रोहिंग्या-बांग्लादेशी मुद्दे पर सरकार को घेरा

श्री बघेल ने कहा कि सरकार लगातार रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को लेकर बयान तो दे रही है, लेकिन वास्तविक आंकड़े कभी प्रस्तुत नहीं कर पाई। उन्होंने इसे ‘‘सिर्फ राजनीतिक शोषण’’ करार दिया।

जमीन की गाइडलाइन दरों को बताया तुगलकी फरमान

  प्रदेश में जमीन की गाइडलाइन दरों में बढ़ोतरी को श्री बघेल ने ‘‘मनमाना और विसंगतिपूर्ण’’ बताया।उन्होंने कहा कि जहाँ जमीन का वास्तविक बाजार मूल्य लगभग 1 लाख रुपये है, वहाँ गाइडलाइन दर 2 करोड़ रुपये कर दी गई है।ऐसे में 10 लाख की जमीन का मूल्य 2 करोड़ दिखेगा।इससे बैंकिंग क्षेत्र प्रभावित होगा और व्यापार और रोजगार पर बड़ा असर पड़ेगा।उन्होंने कहा कि इस फैसले का प्रदेश भर में विरोध हो रहा है और कई स्थानों पर व्यापारी संगठनों ने भाजपा नेताओं का घेराव भी किया है।

पीएम की यात्रा पर भी साधा निशाना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी दौरे पर टिप्पणी करते हुए बघेल ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की बार-बार की जा रही तारीफ का उद्देश्य उद्योगपतियों को लाभ पहुँचाना है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नजर आदिवासी इलाकों में मौजूद कोयला खनिजों पर है और इसी वजह से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज की जा रही है।