
रायपुर 16 दिसंबर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने आरोप लगाया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने के लिए संसद में विधेयक लाना मोदी सरकार की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति दुर्भावना को दर्शाता है।
श्री शुक्ला ने यहां जारी बयान में कहा कि भाजपा-आरएसएस नाथूराम गोडसे के महिमामंडन के लिए महात्मा गांधी की स्मृति और उनके विचारों को मिटाने का षड्यंत्र कर रही है। भाजपा यह भ्रम पाल रही है कि किसी योजना से गांधी जी का नाम हटाकर उन्हें जनमानस से अलग किया जा सकता है, लेकिन यह उनकी सबसे बड़ी भूल है। गांधी जी भारत के जन-जन के हृदय में बसे हैं और कोई भी साजिश उनके योगदान को मिटा नहीं सकती।
श्री शुक्ला ने कहा कि मनरेगा जन आंदोलनों की कोख से जन्मा कानून है, जो “हर हाथ को काम दो, काम का पूरा दाम दो” की भावना को साकार करता है। इस कानून ने ग्रामीण भारत के नागरिकों को काम मांगने का कानूनी अधिकार दिया, 100 दिनों के रोजगार की गारंटी सुनिश्चित की, विकेंद्रीकृत शासन को मजबूत किया और महिलाओं व भूमिहीन मजदूरों को सशक्त बनाया। मनरेगा ने श्रम की गरिमा को व्यवहारिक अधिकारों के माध्यम से स्थापित किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अधिनियम से महात्मा गांधी का नाम हटाने का फैसला भाजपा की गांधी जी के प्रति वैचारिक विद्वेष को उजागर करता है। गांधी जी श्रम की गरिमा, सामाजिक न्याय और गरीबों के प्रति राज्य की नैतिक जिम्मेदारी के प्रतीक रहे हैं। यह नाम परिवर्तन गांधी जी के मूल्यों के प्रति भाजपा-आरएसएस की दीर्घकालिक असहजता और अविश्वास को दर्शाता है।
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