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गौठानों में मिलेगी पशुओं के लिए डे-केयर की सुविधा

बेमेतरा 16 मई।छत्तीसगढ़ में बेमेतरा जिले में सुराजी गांव योजना के तहत पशुओं के लिए डे-केयर सुविधा दिलाने के लिए चार मॉडल गौठानों का निर्माण किया जा रहा है।

दुर्ग संभाग के कमिश्नर दिलीप वासनिकर और कलेक्टर महादेव कांवरे ने आज साजा विकास खण्ड के अंतर्गत ग्राम मौहाभाठा एवं तेदुंभाठा का दौरा कर गौठान निर्माण कार्यों का अवलोकन किया। इन गांवों में गौठान निर्माण के लिए मनरेगा के तहत 19-19 लाख रूपए स्वीकृत किये गये है। कमिश्नर ने अपने भ्रमण के दौरान प्रदेश सरकार के नरवा, गरूवा, घुरूवा अउ बाड़ी योजना के क्रियान्वयन का जायजा लिया। उन्होंने ग्रामीणों से आत्मीय चर्चा की व गोठान से जुड़कर रोजगार मूलक कार्य शूरू करने के लिए प्रेरित किया।

जिले के प्रत्येक गोवों में गोठान निर्माण कराया जाएगा वहां चारा, पानी की व्यवस्था रहेगी। गोठान में छाया की व्यवस्था, बोर खनन, सोलर पंप, पानी टंकी (टांका) नाडेब खाद (घुरूवा) फेन्सिंग, पानी निकासी के लिए नाली का निमार्ण कराया जाएगा।

कमिश्नर ने ग्राम तेंदूभाठा में चारागाह के लिए आरक्षित भूमि का अवलोकन किया। इसके लिए लगभग 8.50 एकड़ घास जमीन चिन्हांकित की गई है।उन्होंने मौहाभाठा के पास छिपनिया नाला में स्टॉप डेम-कॅम एनीकट का भी अवलोकन किया। कलेक्टर महादेव कावरे ने किसानों को केचुंवा खाद तैयार करने के लिए वर्मी बेड देने के निर्देश अधिकारियों को दिये। प्रथम चरण में जिले के 66 गौठान निर्माण का कार्य हाथ में लिया गया है। इनमें- बेमेतरा ब्लॉक के 19 नवागढ़ के 15 साजा के 19 एवं बेरला के 13 गौठान शामिल है।

जिले के कई गोठानों में मवेशियों के लिए जन सहयोग से चारे के लिए पैरा की व्यवस्था भी कर ली गई है। इसके अलावा गोठान के आस-पास आने वाले बारिश सीजन में वृक्षारोपण की तैयारी भी है। इसके लिए गड्ढे खोदे जा चुके है। गोठान के बाहर सी.पी.टी. कर दी गई है। जिले के सभी ग्राम पंचायतों में चारागाह के लिए घास जमीन का चिन्हांकन किया जा चुका है। कलेक्टर ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को इन ग्रामों में चल रहे अन्य विकास कार्यों को निर्धारित समयावधि में पूरा कराने के निर्देश भी दिए।

कलेक्टर ने बताया कि गावों में गोठान से जोड़कर रोजगार मूलक गतिविधियों का संचालन किया जाएगा। इस कार्य में महिला समूहों को जोड़ा जा रहा है ताकि इस माध्यम से वे अपनी अजीविका चला सके और आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन सके। गोठान के गोबर गोमूत्र से खाद तैयार कर वे उसे आय का जरिया बना सकते है। इसके अलावा दुग्ध उत्पाद से भी उनकी आमदनी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि गोठान के आस-पास बांस, फलदार एवं छायादार वृक्ष लगाए जाएगें। यह भी उनके रोजगार का साधन बन सकता है।