नई दिल्ली 12 जुलाई।उच्चतम न्यायालय ने मराठा आरक्षण पर बम्बई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने फिलहाल आरक्षण पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षा संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में मराठा आरक्षण को 2014 से लागू नहीं किया जाएगा।
न्यायालय लक्ष्मण राव पाटिल और एक स्वंयसेवी संगठन द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इन याचिकाओं में मराठा समुदाय को शिक्षण संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी।
बम्बई उच्च न्यायालय ने 27 जून के अपने आदेश में कहा था कि उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमा का विशेष परिस्थितियों के अलावा उल्लंघन नहीं किया जा सकता। बम्बई उच्च न्यायालय ने मराठा समुदाय के सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े होने के तर्क को स्वीकार कर लिया था। न्यायालय ने राज्य सरकार के फैसले को सही बताते हुए कहा था कि 16 प्रतिशत आरक्षण का औचित्य नहीं है और इसे 12 से 13 प्रतिशत तक सीमित रखा जाना चाहिए।
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