धमतरी 09 अगस्त।छत्तीसगढ़ राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा कोई पीडि़त-शोषित व्यक्ति को जब सभी जगह से न्याय न मिले तो वह निराश न हो, राजभवन का दरवाजा खटखटा सकता है, उसे न्याय दिलाने का हर सम्भव प्रयास किया जाएगा।
सुश्री उइके ने आज विश्व आदिवासी दिवस मगरलोड में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस के कार्यक्रम में लोगो को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मैं आदिवासी क्षेत्र में आकर यहाँ की समस्याओं से वाकिफ होना चाहती थी, इसीलिए मैंने आज इस कार्यक्रम में आई। उन्होंने कहा कि आज का दिन अपनी भाषा संस्कृति और स्वशासन परम्परा के संरक्षण और विकास के साथ-साथ जल, जंगल, जमीन के अधिकार के लिए संकल्पबद्ध होने का दिवस है।
उन्होने कहा कि हमारे देश में जनजातीय समाज की संस्कृति-परम्पराओं का गौरवशाली इतिहास रहा है। विशेष प्रकार लोक नृत्य, पर्व त्यौहार रीति रिवाज सब कुछ अनोखा है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इन सबका संबंध प्रकृति अर्थात पर्यावरण से रहा है, जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है।
उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोग सरल हृदय के होते हैं, इसलिए वे जागरूकता की कमी की वजह से संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग नहीं कर पाते, मेरा आग्रह है कि समाज में अधिक से अधिक लोगों को शिक्षित करें और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करें। साथ ही शासन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ उठावें।
इस अवसर राष्ट्रीय जनजातीय आयोग के अध्यक्ष श्री नंदकुमार साय ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग जहां भी रहे हैं वहां के जल जंगल की उन्होंने रक्षा की है। आदिवासी समाज में कई ऐसे महापुरूष हुए हैं, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया है।हमें इस अवसर पर उनके द्वारा दिए गए योगदान को स्मरण करना चाहिए।