नई दिल्ली 10 फरवरी।उच्चतम न्यायालय ने आज अनुसूचित जाति और जनजाति संशोधन विधेयक 2018 को संवैधानिक रूप से वैध बताया है,जिसके तहत अनुसूचित जातियों और जनजातियों के खिलाफ उत्पीड़न के मामले में अग्रिम जमानत की संभावनाओं से इंकार किया गया है।
कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि अग्रिम जमानत केवल उसी मामले में दी जा सकती है जिनमें पहली नज़र में कोई मामला नहीं बनता है।
अनुसूचित जाति और जनजाति कानून 2018 उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से निष्प्रभाव करने के लिए लाया गया था, जिसमें कानून के कठोर प्रावधानों को कमजोर किया था।