रायपुर 27अप्रैल।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री राम विलास पासवान को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ को शक्कर के विक्रय हेतु 50 हजार मीट्रिक टन का कोटा एकमुश्त जारी करने और इस विशेष परिस्थिति में प्रत्येक माह जारी किए जाने वाले कोटे से इसे मुक्त रखने का आग्रह किया है।
श्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि शक्कर विक्रय हेतु कोटा निर्धारित के कारण प्रदेश के सहकारी शक्कर कारखानों द्वारा उत्पादित शक्कर का विक्रय नहीं हो पा रहा है। साथ ही कोटा सिस्टम होने से प्रदेश के कारखानों में पूर्व सीजन की शक्कर का विक्रय भी नहीं हो पाया है। वर्तमान सीजन में पेराई प्रारंभ हो जाने से एक और शक्कर का स्टाक तो लगातार बढ़ रहा है, किन्तु विक्रय नहीं हो पाने से निर्मित प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के कारण गन्ना उत्पादक किसानों को भुगतान भी नहीं हो पा रहा है।
श्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि प्रदेश में चार शक्कर कारखाने सहकारी क्षेत्र में संचालित है, वर्तमान पेराई सीजन 2019-20 में 35 हजार कृषकों द्वारा 195 करोड़ रूपए मूल्य का 7 लाख 44 हजार 309 मीट्रिक टन गन्ना का विक्रय कारखानों को किया गया है। किन्तु प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण गन्ना किसानों को भुगतान नहीं हो पा रहा है, किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए विषम परिस्थितियों में किसानों से गन्ने का क्रय तथा पेराई की जा रही है। कोरोना जनित परिस्थितियों के कारण किसान कोई अन्य वैकल्पिक आय के साधन जुटाने में असमर्थ है तथा गन्ने के मूल्य का भुगतान नहीं होने से किसानों को घर-परिवार चलाने हेतु गंभीर आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है, साथ ही कारखानों में कार्यरत कर्मचारियों को वेतन भुगतान करने में विकट समस्या खड़ी हो गई है।
श्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि राज्य में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लगभग 58 लाख परिवार है, लोकहित में राज्य सरकार द्वारा सहकारी शक्कर कारखानों से उत्पादित शक्कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत रियायती दर पर गरीब परिवारों को उपलब्ध कराई जा रही है। भारत सरकार द्वारा शक्कर विक्रय हेतु प्रदेश के कारखानों को जारी विक्रय कोटा अत्यधिक कम है, जिससे एक ओर किसानों को गन्ने का भुगतान नहीं हो पा रहा है दूसरी ओर सार्वजनिक वितरण प्रणाली हेतु भी शक्कर उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
उन्होने कहा कि अप्रैल 2020 के लिए राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत मांग 5785 मीट्रिक टन है, किन्तु भारत सरकार से 4628 मीट्रिक टन का कोटा ही प्राप्त हुआ है, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत मांग से भी 1157 मीट्रिक टन कम है, इस प्रकार प्रदेश के कारखानों द्वारा उत्पादित शक्कर की खुले बाजार हेतु उपलब्धता दूर की बात हो गई है। जबकि प्रदेश के चारों शक्कर कारखानों में 87088 मीट्रिक टन शक्कर रखी हुई है, जिसका निराकरण कोटा के अभाव में नहीं हो पा रहा है।