नई दिल्ली 18 नवम्बर।उच्चतम न्यायालय ने पोक्सो अधिनियम के तहत दुष्कर्म मामले में शारीरिक स्पर्श से सम्बद्ध बम्बई उच्च न्यायालय के विवादित फैसले को रद्द कर दिया है।
उच्च न्यायालय ने पॉक्सो अधिनियम के अनुच्छेद-7 के अंतर्गत इसे आवश्यक शर्त माना था।
उच्चतम न्यायालय की खंडपीठ ने आज सुनाए निर्णय में कहा कि दुष्कर्म की नीयत ही अपराध की श्रेणी में आती है।ऐसी घटनाओं में शारीरिक स्पर्श प्रासंगिक नहीं है।खंडपीठ ने कहा कि कानून को उसकी मूल प्रासंगकिता की दृष्टि से परिभाषित किया जाना चाहिए।उसे बचाव के हथियार के तौर पर इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए।