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कृषि मंत्री ने किसी भी किसान की आत्महत्या से किया इंकार

रायपुर 21जुलाई।छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने किसी भी किसान की आत्महत्या से इंकार करते हुए कहा हैं कि राज्य में उन्नतिशील बीज की कोई कमी नही है,और उवर्रक की कमी को केन्द्र सरकार से समन्वय कर दूर करने का प्रयास जारी है।

श्री चौबे ने आज विधानसभा में विपक्षी सदस्यों की स्थगन सूचना पर व्यक्तव्य देते हुए कहा कि प्रदेश में खरीफ वर्ष 2022-23 में 48 लाख हेक्टयर में फसल लगाने हेतु 10 लाख 04 हजार 950 क्विंटल बीज की मांग की गई है, जिसके विरुद्ध 08 लाख 97 हजार क्विंटल से अधिक बीज की उपलब्धता प्रदेश में है। जिसमें 07 लाख 74 हजार 497 क्विंटल बीज का वितरण कृषकों को किया जा चुका है, जो गत वर्ष इसी अवधि में वितरित 07 लाख 47 हजार 530 क्विंटल बीज की तुलना में चार प्रतिशत अधिक है।

उन्होने कहा कि प्रदेश में किसानों को वितरण हेतु अनाज, दलहन, तिलहन बीजों की पर्याप्त उपलब्धता है। खरीफ 2022 में विभिन्न उर्वरकों जैसे यूरिया, डीएपी, एनपीके, एसएसपी, पोटाश इत्यादि के 13 लाख 70 हजार मेट्रिक टन की मांग भारत सरकार से की गयी थी, जिस पर भारत सरकार द्वारा अनुमोदन दिया है। अनुमोदन के आधार पर माहवार आपूर्ति प्लान तैयार कर भारत सरकार को भेजा गया।कार्यक्रम के अनुसार प्रदेश में माह अप्रैल में कुल 03 लाख 57 हजार मेट्रिक टन की मांग के विरुद्ध 01 लाख 62 हजार 258 मेट्रिक टन उर्वरक आपूर्ति की गई जो मांग की तुलना में 55 प्रतिशत कम है।

श्री चौबे ने कहा कि अप्रैल से जुलाई 2022 तक की कुल मांग 11 लाख 66 हजार मेट्रिक टन के विरुद्ध 19 जुलाई तक कुल 08 लाख 01 हजार 815 मेट्रिक टन उर्वरक आपूर्ति हुई, जो कुल मांग की तुलना में 31 प्रतिशत कम है।उन्होने कहा कि सरकार के पास किसानों को वितरित करने के लिए खाद नहीं होने के आरोप गलत है और यह भी गलत है कि बाजारों में सरकार उर्वरक ज्यादा सप्लाई करा रही है।उन्होने कहा कि भारत सरकार से प्राप्त उर्वरक की 60 प्रतिशत मात्रा सहकारिता विभाग को तथा 40 प्रतिशत निजी व्यापारियों को प्रदाय कर प्रदेश के कृषकों को रासायनिक उर्वरक उपलब्ध कराया जा रहा है।

उन्होने कहा कि भूमि की भौतिक दशा को सुधारने की दृष्टि से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की अनुशंसा के आधार पर किसानों को वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में गोधन न्याय योजनांतर्गत उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट की सुगम उपलब्धता की दृष्टि से ऋणमान में सम्मिलित करते हुए किसानों को प्रदाय किये जाने वाली फसल ऋण में वस्तु के रूप में प्रदाय करने का निर्णय लिया गया है।