नई दिल्ली 24 नवम्बर।केन्द्र ने गैर-वन क्षेत्रों में उगाए जाने वाले बांस को पेड़ की परिभाषा से बाहर कर दिया गया है।
गैर वन्य क्षेत्रों में बांस की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए भारतीय वन संशोधन अध्यादेश 2017 जारी किया है।इससे बांस के आर्थिक उपयोग के लिए इसे काटने और ले जाने की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी।वनस्पति वर्गीकरण के आधार पर बांस घास है, लेकिन 1927 के भारतीय वन अधिनियम के तहत इसे पेड़ के रूप में परिभाषित किया गया है।
पर्यावरण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा है कि वैधानिक और नियामक बाधाएं हट जाने से एक करोड़ 26 लाख हेक्टेयर खेती योग्य बेकार पड़ी जमीन पर बांस की खेती की जा सकेगी।
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