नई दिल्ली 25 नवम्बर।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वकीलों से गरीबों को मुफ्त कानूनी सेवायें प्रदान करने का आग्रह किया है।
श्री कोविंद ने आज यहां राष्ट्रीय विधि दिवस पर आयोजित दो दिन के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि महंगी कानून प्रणाली के कारण देश में न्याय मिलने में देरी होती है।उन्होने वकीलों, न्यायिक बिरादरी और बार एसोसिएशनों से ऐसा रास्ता खोजने की अपील की, जिससे ये बाधाएं दूर की जा सकें।राष्ट्रपति ने कहा कि निचली अदालतों में मानव संसाधनों का उन्नयन समय की मांग है।
उन्होने कहा कि कानूनी किताबों की भीड़भाड़ कम करने और प्रशासन को सुगम बनाने के लिए सरकार ने पिछले तीन वर्षों में संसद ने लगभग 1200 पुराने और गैर जरूरी कानूनों को समाप्त किया है।
सम्मेलन में उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने कहा कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का संरक्षण न्यायपालिका का परम कर्तव्य है।उन्होने कहा कि नागरिक के मूल अधिकारों का संरक्षण करना न्यायपालिका का परम कर्तव्य है। संविधान के अस्तित्व में आने के साथ ही मूल अधिकारों का प्रसार हुआ। यदि लोग संविधान और संवैधानिक भावना को नजरअंदाज करेंगे तो समाज के पतन को बढ़ावा मिलेगा।
इस मौके पर विधि और न्याय राज्य मंत्री पी पी चौधरी ने कहा कि न्याय दिलाने में देरी को दूर करने के लिए सुधारों की आवश्यकता है।
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