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12 साल बेमिसाल और बदहाली में उलझती मध्यप्रदेश की राजनीति – अरुण पटेल

अरूण पटेल

भाजपा और कांग्रेस दोनों मध्यप्रदेश में 2018 के अन्त में होने वाले विधानसभा चुनाव के मोड में आ गए हैं और अपने-अपने ढंग से चुनाव जीतने के मद्देनजर राजनीतिक गोटियां बिठाने लगे हैं। भाजपा जहां एक ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 12 साल के कार्यकाल को बेमिसाल निरूपित करते हुए उपलब्धियों के आधार पर फिर से मतदाताओं का दिल जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाते हुए विकास पर्व मना रही है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भी “12 साल प्रदेश बदहाल और खस्ताहाल’’ का नारा लगाते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घेराबंदी की है। 12 साल बेमिसाल का जश्न भाजपा मना रही है तो वहीं कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री से 12-12 तीखे सवाल करते हुए उन्हें जनता के सामने कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। भले ही 12 साल बेमिसाल का जश्न शिवराज सरकार मना रही हो लेकिन भाजपा में ही इसको लेकर एक-राय नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने कहा है कि 12 साल ही नहीं भाजपा सरकार के 14 साल का कार्यकाल बेमिसाल रहा है। उनकी इस बात को उसी अंदाज में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आगे बढ़ाया है। कुल मिलाकर अब एक ओर जहां भाजपा सरकार के कार्यकाल को बेमिसाल साबित करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी जाएगी तो कांग्रेस भी इस दौरान हुए कथित घपले घोटालों और समाज के विभिन्न वर्गों में जो असंतोष है उसे उभारते हुए अपनी चुनावी डगर आसान करने की जीतोड़ कोशिश करेगी।

शिवराज सरकार का दावा है कि 12 साल बेमिसाल रहे हैं और 12 ऐसे निर्णय लिए गए हैं जिससे प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। भाजपा के जश्न का मुख्य केंद्रीय स्वर यह है कि 12 साल का उसका कालखंड ऐसा रहा है जिसमें मध्यप्रदेश में बदलाव की इबारत लिखी गयी है। भाजपा में एक वर्ग ऐसा भी है जो यह सोचता है कि केवल 12 साल ही नहीं पूरे 14 साल का कार्यकाल बेमिसाल रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का कहना है कि शिवराज का 12 साल का कार्यकाल ही बेमिसाल नहीं है बल्कि 14 साल का पूरा कार्यकाल ही बेमिसाल है। उनके कहने का अर्थ यह है कि सुश्री उमा भारती और उनके स्वयं का मुख्यमंत्रित्वकाल भी बेमिसाल रहा है। यह कहकर कि कांग्रेसी मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह का कार्यकाल भी बेमिसाल था, गौर ने यह जतलाने की कोशिश की है कि कांग्रेस की सरकारों में भी कुछ कार्यकाल बेमिसाल रहे हैं। गौर की सोच उस सोच से मेल नहीं खाती जिसमें भाजपा में मौजूदा नेतृत्व करने वाला वर्ग यह मानता है कि केवल उनका कार्यकाल ही बेमिसाल है और इसके अलावा किसी और के कार्यकाल में कुछ नहीं हुआ। वैसे भले ही भाजपा भूल गई हो लेकिन भाजपा के पहले मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा का कार्यकाल भी काफी बेहतरीन रहा और उन्होंने प्रशासनिक दक्षता और राजनीतिक सूझबूझ का बखूबी परिचय दिया था। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी जो कुछ कहा वह इस बात की ओर इंगित करता है कि 14 साल ही उपलब्धियों से भरे रहे हैं। विजयवर्गीय का कहना था कि शिवराज के कार्यकाल में विकास की परंपरा को बढ़ावा मिला है। वे यह कहने से नहीं चूके कि विकास की जिस इमारत को शिवराज ने खड़ा किया उसकी नींव उमा भारती और बाबूलाल गौर ने रखी थी।

भोपाल नगर पालिक निगम ने जनसेवा के लिए जीवन समर्पित करने और समाज को नेतृत्व देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए ‘सुभाषचंद्र बोस नेतृत्व सम्मान’ की शुरूआत शिवराज को सम्मानित कर की। इस सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी और केंद्रीय पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद थे। सोलंकी ने बतौर मुख्यमंत्री शिवराज के कार्यकाल को उपलब्धियों से भरा बताते हुए कहा कि पार्टी को उन पर गर्व है। शिवराज एक ऐसे युवा हैं जो बिना थके, बिना रुके लगातार काम करते हैं। नरेंद्र सिंह तोमर का कहना था कि शिवराज ने बिना बाधा सफलतापूर्वक अपना कार्यकाल पूरा किया है और आगे भी बिना बाधा के उनका कार्यकाल चलता रहेगा। कार्यकर्ता के रूप में विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने काम किया है और यह सौभाग्य है कि वे मेरे मित्र हैं। इस अवसर पर शिवराज ने कहा कि मैं जनता का सेवक हूं और रहूंगा। शिवराज का मानना है कि इन 12 सालों की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि हमने प्रदेश की पूरी तस्वीर बदल दी है और जो बदलाव असंभव समझे जा रहे थे उनको हमने पूरा करके दिखाया है। यही कारण है कि लोगों का सरकार तथा शासन-प्रशासन के प्रति विश्वास लौटा है। जीडीपी बढ़कर 3.4 प्रतिशत से 4.4 प्रतिशत हो गयी है और कृषि के क्षेत्र में पिछले कुछ सालों से 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धिदर बनी हुई है। लगातार पांच बार कृषि कर्मण पुरस्कार भी मिले हैं।

शिवराज के मुकाबले कांग्रेस के संभावित चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया और आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से अहम् दायित्व का निर्वहन करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने 12 साल के जश्न पर 12-12 तीखे सवाल पूछते हुए जश्न के औचित्य को लेकर ही सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। दोनों के सवालों में कुछ अंतर है लेकिन उन्होंने जो सवाल दागे हैं उनका केंद्रीय स्वर यही है कि भाजपा के लिए जश्न मनाने का कोई कारण नहीं है। आप किस बात का जश्न मना रहे हैं, क्योंकि 2016 में प्रतिदिन 63 मासूम बच्चों की मौतें हुईं, एक साल में गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या तीन गुना बढ़कर 26 हजार हो गई। इंदौर के एम.वाय. अस्पातल में गैस की कमी के कारण 11 मरीजों की मृत्यु हुई और आज भी मध्यप्रदेश की शिशु मृत्युदर देश में सर्वाधिक है। उन्होंने चिकित्सकों के अभाव का मामला भी उठाया। खेती को लाभ का धंधा बनाने और किसानों की आय दुगुनी करने के शिवराज के दावे को लेकर उन्होंने सवाल किया है कि आज किसान फसल सड़कों पर फेंकने को मजबूर है तो दूसरी तरफ समर्थन मूल्य में इजाफा नहीं हुआ है, मंडियों में दाम नहीं मिल रहे हैं, बिक्री हो तो भुगतान हाथोंहाथ नहीं होता। भावान्तर का भंवरजाल किसानों के लिए सुरक्षा कवच है या फिर उनके जख्म कुरेदने का षड्यंत्र। अपना हक मांगने वाले किसानों को गोली चलाकर जान से मार डाला गया, टीकमगढ़ में किसानों को थाने में निर्वस्त्र कर लाठियां बरसाई गईं और नरसिंहपुर में निराश किसानों को अपने खून से कलेक्टोरेट की दीवारों को रंगने के लिए मजबूर कर दिया गया। कृषि कर्मण पुरस्कार जीतने वाले स्वर्णिम मध्यप्रदेश की सच्चाई को उजागर करते हुए सिंधिया ने सवाल दागा कि पांच घंटे में एक किसान आत्महत्या कर रहा है और 12 सालों में लगभग 21 हजार किसान आत्महत्या का रास्ता अपना चुके हैं क्या आपको उनकी पीड़ा दिखती है या नहीं? बिगड़ती कानून व्यवस्था और महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार आदि मुद्दों को लेकर भी तीखे सवाल पूछे गए हैं।

कमलनाथ ने नर्मदा यात्रा के दौरान हुए वृक्षारोपण, शराबबंदी में भ्रष्टाचार आदि के साथ ही नई रेत उत्खनन नीति पर शिवराज की घेराबंदी की है। उन्होंने यह भी कहा है कि 14 साल में सरकार प्रदेश में विकास की इबारत लिखकर अपनी अलग पहचान स्थापित कर सकती थी लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया। प्रदेश में वाशिंगटन से अच्छी सड़कें होने का दावा करते हैं लेकिन प्रदेश की सड़कों को सब भलीभांति जानते हैं। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का आरोप है कि 12 साल झूठ, ढोंग और वायदाखिलाफी के रहे हैं। अरुण यादव का कहना था कि विकास पर्व की जगह शिवराज को प्रायश्चित दिवस मनाना चाहिए। एक ओर जहां भाजपा विकास पर्व मना रही है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इसके जवाब में प्रदेश बदहाल और खस्ताहाल का नारा देकर प्रदर्शन कर रही है। बेमिसाल और बदहाल में से कौन सा नारा जनता के गले उतरता है और वह किस पर ज्यादा भरोसा करती है यह वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव नतीजों से ही पता चल सकेगा।

 

सम्प्रति-लेखक श्री अरूण पटेल अमृत संदेश रायपुर के कार्यकारी सम्पादक एवं भोपाल के दैनिक सुबह सबेरे के प्रबन्ध सम्पादक है।