सरकारी कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर है. सरकार ने जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) के नियमों को बदल दिया है. नए नियम के तहत अब एक वित्त वर्ष में कर्मचारी जीपीएफ में केवल 5 लाख रुपये तक का ही निवेश कर सकेंगे. जीपीएफ PPF जैसी स्कीम है, जिसमें केवल सरकारी कर्मचारी ही योगदान दे सकते हैं. आइये जानते हैन्लेतेस्त अपडेट.
सरकार ने बदला नियम
गौरतलब है कि जनरल प्रोविडेंट फंड (सेंट्रल सर्विस) नियम, 1960 के अनुसार, अब तक इस फंड में पैसा डालने के लिए कोई ऊपरी सीमा तय नहीं की गई थी. यानी अब तक के नियम के अनुसार, कर्मचारी अपनी सैलरी का एक प्रतिशत अमाउंट डाल सकते थे. लेकिन इसके बाद 15 जून 2022 को एक सरकारी नोटिफिकेशन के जरिये जानकारी दी कि इन नियमों में बदलाव कर दिया गया. इस नोटिफिकेशन के अनुसार, अब जीपीएफ अकांउट में एक वित्त वर्त के भीतर 5 लाख रुपये से अधिक की राशि नहीं डाली सकती.
सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन
इसके बाद 11 अक्टूबर 2022 को, डिपार्टमेंट ऑफ पेंशन एंड पेंशनर्स वेल्फेयर (DoPPW) ने फिर एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया है. इस नए नियम में कहा गया है कि जनरल प्रोविडेंट फंड (सेंट्रल सर्विस) नियम, 1960, के अनुसार, एक सबस्क्राइबर के संबंध में GPF कुल मेहनताने (Emoluments) के 6 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए. यानी तब इस पर ऊपरी सीमा निर्धारित नहीं थी, लेकिन अब इस नियम में बदलाव हो गया है.
जीपीएफ क्या है?
अब बात करते हैं कि GPF क्या है? GPF भी एक तरह का भविष्य निधि (PF) खाता है, जो सभी कर्मचारियों के लिए नहीं होता है. दरअसल, जीपीएफ का लाभ सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को मिलता है. इसके लिए सरकारी कर्मचारियों को अपने वेतन का एक निश्चित भाग जीपीएफ में योगदान करना होता है. सरकारी कर्मचारियों को इसमें योगदान करना अनिवार्य है. इसके बाद, रोजगार अवधि के दौरान कर्मचारी द्वारा जीपीएफ में किए गए योगदान से जमा कुल राशि का भुगतान कर्मचारी के रिटायर्मेंट के समय किया जाता है. आपको बता दें कि सरकार जीपीएफ में योगदान नहीं करती है, इसमें केवल कर्मचारी का योगदान होता है. इतना ही नहीं, वित्त मंत्रालय हर तिमाही जीपीएफ की ब्याज दर में बदलाव करता है.
जानिए GPF पर ब्याज दर
आपको बता दें कि वर्तमान में जीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज पीपीएफ के समान है. गौरतलब है कि डिपार्टमेंट ऑफ इकॉनमिक अफेयर (DEA) ने 2022 की अक्टूबर से दिसंबर तिमाही के लिए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है , और अभी यह 7.1 फीसदी है.