सरकार ने डाटा प्रोटेक्शन को लेकर लगातार उठ रही चिंताओं के दूर करने के लिए एक नए संशोधित डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 का प्रस्ताव किया है। इस बिल को यूजर्स के पर्सनल डाटा को रेगुलेट करने के लिए तैयार किया गया है। सरकार ने पिछले बिल को वापस लेने के तीन महीने बाद शुक्रवार को एक नए व्यापक डेटा संरक्षण विधेयक का मसौदा जारी किया। बिल के नए स्वरूप में कई तरह के प्रावधान किए गए हैं। सरकार ने शुक्रवार को जारी डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के मसौदे के तहत प्रस्तावित प्रावधानों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया है।
वापस लिया गया पुराना बिल
यह उस पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के स्थान पर पेश किया गया है, जिसे अगस्त में वापस ले लिया गया था। सरकार ने कहा कि एक और “व्यापक कानूनी ढांचा” जल्द ही पेश किया जाएगा। बता दें कि नया प्रस्ताव प्रस्तावित विधेयक की चौथी पुनरावृत्ति है। इसके लिए डाटा संरक्षण कानून 2017 से काम कर रहा है, जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि निजता यानी प्राइवेसी हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने 17 दिसंबर, 2022 तक जनता से डॉफ्ट विधेयक पर प्रतिक्रिया की मांग की है। बता दें कि यह प्रतिक्रिया MyGov वेबसाइट पर प्रस्तुत की जा सकती है। लेकिन क्या ये आम यूजर्स के लिए मददगार होगी? l आइये इसके बारे में जानते हैं।
कंपनी पर लगेगा 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना
सरकार द्वारा पारित किए गए नए प्रोटेक्शन बिल में किसी यूजर के पर्सनल डाटा को गलत इस्तेमाल करने या चुराने पर लगने वाले जुर्माने तो बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया गया था। बता दें कि पहले इस जुर्माने की राशि 15 करोड़ रुपये या किसी यूनिट के वैश्विक कारोबार का 4 प्रतिशत था।
सरकार करेगी ये बदलाव
सरकार के पास उन देशों को निर्दिष्ट (स्पेसिफाई) करने की शक्ति होगी, जिन्हें कंपनियां पर्सनल डाटा ट्रांसफर कर सकती हैं। इससे कंपनियों को उस लिस्ट के देशों में स्थित सर्वरों को यूजर डेटा भेजने की अनुमति मिलेगी।
सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में प्रस्तावित कानून से स्टेट एजेंसियों को डाटा प्रोसेसिंग से मुक्त सकती है।
प्रस्तावित कानून का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार एक “डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड” स्थापित करेगी, जो कंज्युमर्स की शिकायतें भी सुनेगा। इसके साथ ही केंद्र सरकार नोटिफिकेशन द्वारा इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए एक बोर्ड की स्थापना करेगी, जिसे डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया कहा जाएगा।
ड्रॉफ्ट में यह भी बताया गया है कि कार्य का आवंटन, शिकायतों की प्राप्ति, सुनवाई के लिए समूहों का गठन, निर्णयों की घोषणा और बोर्ड के अन्य कार्य डिजाइन द्वारा डिजिटल होंगे।
कंपनियों के आकार के आधार पर उनके द्वारा संसाधित किए जाने वाले डाटा की मात्रा को ध्यान में रखते हुए कानून के प्रावधानों के अनुपालन का मूल्यांकन करने के लिए एक स्वतंत्र डेटा ऑडिटर नियुक्त किया जाएगा।
इसके साथ ही डाटा संरक्षण बोर्ड गैर-अनुपालन के लिए वित्तीय दंड लगा सकता है। डाटा उल्लंघनों को रोकने के लिए उचित सुरक्षा उपाय करने में संस्थाओं की विफलता के परिणामस्वरूप 2.5 बिलियन रुपये (30.6 मिलियन डॉलर) तक का जुर्माना हो सकता है।
सुरक्षित रहेगा आपका डाटा
कंपनियों को यूजर डाटा को सेव रखने की प्रक्रिया को रोकने की जरूरत होगी, अगर वे उस व्यावसायिक उद्देश्य को पूरा नहीं करते हैं जिसके लिए इसे एकत्र किया गया था। इसके साथ ही यूजर्स को अपने व्यक्तिगत डाटा में सुधार करने और मिटाने का अधिकार होगा।
किसी भी कंपनी या संगठन को उन पर्सनल डाटा को संसाधित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जो बच्चों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा कोई भी विज्ञापन बच्चों को लक्षित नहीं कर सकते हैं। बच्चे के किसी भी व्यक्तिगत डाटा को संसाधित करने से पहले माता-पिता की सहमति की जरूरत होगी।
कानून ऑनलाइन एकत्र किए गए व्यक्तिगत