Google for India Event में कंपनी ने कई नए फीचर्स और प्रोडक्ट्स को पेश किया. इससे भारतीय इंटरनेट यूजर्स का इंटरनेट एक्सपीरिएंस आसान बनेगा. कंपनी ने आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस को भी बढ़ावा देने की बात कही. देश में लोकप्रिय पेमेंट ऐप Google Pay में भी बेहतर सेफ्टी फीचर देने की बात कंपनी ने कही.
Files ऐप से जुड़ेगा Digilocker
इसके अलावा कंपनी Files ऐप को सरकार के Digilocker से भी जोड़ने की बात कही. इस मौके पर गूगल के सीईओ Sundar Pichai और IT मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे. सुंदर पिचाई ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने लगभग सभी सेक्टर को टच किया है.
उन्होंने आगे बताया कि AI सर्विस को गूगल के मिशन पर यूज करने को लेकर हम काफी उत्साहित है. AI की मदद से ऑफर करने वाली भाषाओं को स्केल अप किया जा रहा है. अब पावरफुल AI मॉडल पर काम किया जा रहा है. ये 1000 भाषाओं को सपोर्ट करता है. Google Search पर AI की मदद से मल्टी मॉडल व्यू मिलेगा.
Google के मल्टी सर्च फीचर से मिलेगा फायदा
कंपनी ने नए सर्च फीचर के बारे में भी दिखाया. Google के मल्टी सर्च फीचर से यूजर्स इमेज और टेक्स्ट को एक साथ सर्च कर सकते हैं. कंपनी आने वाले समय में ज्यादा लैंग्वेज को लॉन्च करेगी. अगले साल हिंदी से इसकी शुरुआत की जाएगी. ये फीचर फिलहाल भारत में इंग्लिश के लिए उपलब्ध है.
कंपनी ने भारत-फर्स्ट फीचर को भी दिखाया जिसमें पर सर्च रिजल्ट पेज दो लैग्वेंज में भी दिखाया जाएगा जो इसके प्रीफर करेंगे. कंपनी ने National eGovernance Division (NeGD)के साथ भी पार्टनरशिप की है. इससे यूजर्स वेरिफाइड डिजिटल डॉक्यूमेंट को Files by Google ऐप में एक्सेस कर सकते हैं. इसके लिए Digilocker को इंटीग्रेट किया गया है.
कंपनी ने बताया कि यूजर्स को इसको एक्सेस करने के लिए यूनिक लॉक स्क्रीन की जरूरत होगी. Files ऐप सरकारी डॉक्यूमेंट्स को आइडेंटिफाई कर उसको सिंगल फोल्डर में भी ऑर्गेनाइज कर सकता है. कंपनी अगले साल YouTube क्रिएटर्स के साथ मिलकर कोर्स भी लॉन्च करेगी. इससे कंटेंट क्रिएटर्स कोर्स को मॉनिटाइज कर पाएंगे.
प्रोजेक्ट वाणी पर कर रही है कंपनी काम
Google एक नए प्रोजेक्ट वाणी पर काम कर रही है. इसको भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के साथ मिलकर तैयार किया जा रहा है. इसका मकसद उद्देश्य बेहतर AI भाषा मॉडल बनाने के लिए अलग-अलग भारतीय लैग्वेंज को कैप्चर करना है. इस प्रोजेक्ट से भारत के सभी 773 जिलों से ओपन-सोर्स स्पीच डेटा का स्टोर और ट्रांसक्राइब किया जाएगा.