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बच्चों को शिक्षा देने के लिए, हीराबेन ने दूसरे के घरों में भी किया काम..

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा मोदी का निधन हो गया है। हीराबा के संघर्ष के बारे में पीएम मोदी कई बार भावुक अंदाज में जिक्र कर चुके हैं। अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए हीराबेन ने दूसरे के घरों में भी काम किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा का शुक्रवार को निधन हो गया। जब विवाह हुआ था तो हीराबेन की उम्र तब महज 15-16 साल थी। घर की आर्थिक और पारिवारिक स्थिति कमजोर होने के चलते उन्हें पढ़ने का मौका नहीं मिला। भले ही हीराबेन को पढ़ने का मौका ना मिला हो लेकिन अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए उन्होंने दूसरे के घरों में काम किया। उन्होंने फीस भरने के लिए कभी किसी से उधार पैसे नहीं लिए।

संघर्ष से भरा रहा जीवन

पीएम मोदी का मां हीराबा के प्रति प्रेम जगजाहिर है। वो अक्सर अपनी मां की बातों को याद किया करते हैं। उन्होंने कई कार्यक्रमों में हीराबेन का जिक्र भी किया। हीरा बा के 100 वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि उनकी मां हीराबेन का जन्म गुजरात के मेहसाणा जिले के विसनगर के पालनपुर में हुआ था। ये वडनगर के काफी करीब है। हीराबा की मां यानी पीएम मोदी की नानी का स्पेनिश फ्लू महामारी से कम आयु में ही निधन हो गया था। हीराबेन को अपनी मां का चेहरा भी याद नहीं था। हीराबा ने अपना पूरा बचपन अपनी मां के बिना बिताया।

खुद करती थीं काम

पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था कि कैसे उनकी मां ना केवल घर के सभी काम खुद करती थीं, बल्कि परिवार पालने के लिए दूसरों के घरों में काम भी करती थीं। पीएम मोदी वडनगर के उस छोटे से घर को अक्सर याद करते थे, जिसकी छत और दीवारें मिट्टी की थी। जहां वो अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ रहते थे।

जब मां के संघर्ष को याद कर रो पड़े पीएम मोदी

हीराबा के संघर्ष के बारे में प्रधानमंत्री मोदी कई बार भावुक अंदाज में जिक्र कर चुके हैं। साल 2015 में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के साथ बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने अपनी मां के संघर्षों को याद करते हुए कहा था ‘मेरे पिताजी के निधन के बाद मां हमारा गुजारा करने और पेट भरने के लिए दूसरों के घरों में जाकर बर्तन साफ करती थीं और पानी भरती थीं।’ इस दौरान पीएम मोदी भावुक होकर रो पड़े थे।

सादा जीवन, सादा भोजन और सकारात्मक विचार

100 साल की उम्र में भी हीराबा के स्वस्थ जीवन का राज सादा जीवन, सादा भोजन और सकारात्मक विचार था। जल्दी सोना और जल्दी उठकर भजन, पूजा-पाठ करना उनके दैनिक कार्यो में शुमार था। हीराबेन का विवाह दामोदरदास मूलचंद मोदी से हुई थी। हीराबेन और दामोदरदास की 6 संतानें हुईं। नरेंद्र मोदी तीसरे नंबर पर थे।

पैदल चलना पसंद था

हीराबा के छोटे पुत्र प्रहलाद मोदी बताते हैं कि मां सकारात्मक और धार्मिक विचारों से ओत-प्रोत रहने के कारण हमेशा प्रसन्न और स्वस्थ रहतीं। कभी कोई शारीरिक परेशानी हो तो घरेलू उपचार से ठीक हो जातीं थीं। हीराबा आसपास जाने के लिए पैदल चलना पसंद करती थीं। खाली समय में झूले पर बैठने के साथ आस-पड़ोस के बच्चों के साथ बातचीत करतीं। बुजुर्ग होने के कारण पड़ोस की महिलाएं भी उनसे कई तरह की सलाह लेती थीं।