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भूपेश का हर साल छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक का आयोजन करने का ऐलान

रायपुर 08जनवरी।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने राज्य के पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए हर साल छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक का आयोजन सितम्बर-अक्टूबर माह में करने का ऐलान किया हैं।

   श्री बघेल ने  आज यहां बलवीर सिंह जुनेजा स्टेडियम में छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक की राज्य स्तरीय स्पर्धाओं के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होने छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक की क्लस्टर, ब्लॉक, जिला, संभाग और राज्य स्तर की स्पर्धाओं में प्रथम, द्वितीय और तीसरे स्थान पर आने वाले प्रतिभागियों को पुरुस्कार राशि प्रदान करने की घोषणा की।  मुख्यमंत्री ने टॉस कर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की राज्य स्तरीय कबड्डी खेल की प्रतियोगिता की शुरुआत की।

      उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़िया परम्परा में बसी हमारी खेल विधाओं को संरक्षित करने और आगे बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरुआत की गई है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक को लेकर पूरे प्रदेश में लोगों में अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला। बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों, महिलाओं और युवाओं में इन खेलों में पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया। गांव-गांव में खेलों के प्रति एक अच्छा वातावरण निर्मित हुआ। महिलाओं ने भी इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। शादी की बाद जो महिलाएं ससुराल चली गई थी, उनकी भी इन खेलों में बड़ी संख्या में भागीदारी रही।

    श्री बघेल ने बताया कि जांजगीर-चांपा जिले के मुलमुला गांव में आयोजित भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान गेंड़ी लेकर आई एक 40 वर्षीय महिला ने बताया कि इस प्रतियोगिता की वह विजेता रही हैं। महिला ने बड़े उत्साह के साथ बताया कि ससुराल आने के बाद खेलने का मौका नहीं मिलता था। आपने छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत की इससे हम लोगों को खेलने का मौका मिला। इस प्रतियोगिता का आयोजन हर वर्ष होना चाहिए। श्री बघेल कहा कि छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत 06 अक्टूबर को हुई थी। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में राज्य स्तरीय स्पर्धा में सबसे छोटी 06 वर्ष की बालिका फुगड़ी में और 65 वर्षीय बुजुर्ग गेंड़ी दौड़ में खेल रहे हैं।

        खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की पहल पर हमारे ग्रामीण इलाकों में प्रचलित खेल जो लुप्त हो रहे थे, उनको प्रोत्साहित और बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत की गई।छत्तीसगढ़िया संस्कृति को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है। तीज-त्यौहारों में छुट्टी की घोषणा के साथ पूरे प्रदेश में उत्साहपूर्वक आयोजन किया जा रहा है।