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पंजाब: हाईकोर्ट के आदेश में एक चूक से पंजाब में मचा हड़कंप, जानिये क्यों?

दरअसल, याचिकाकर्ता प्रेमी जोड़ा जिसमें युवती का नाम रणजीत कौर था और युवक का नाम मंदीप कुमार था लेकिन हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश में गलती से युवक का नाम मंदीप कौर लिख दिया गया। यह समाचार प्रकाशित होने के बाद इस बात की चर्चा आग की तरफ फैल गई कि कैसे एक गुरुद्वारे में दो लड़कियों का विवाह करवा दिया गया।
हाईकोर्ट के एक आदेश में चूक से पंजाब में हड़कंप मचा रहा। जालंधर के एक प्रेमी जोड़े ने खरड़ के गुरुद्वारे में विवाह रचा कर हाईकोर्ट में सुरक्षा की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए जालंधर के एसएसपी को दोनों के जीवन व स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया था।

दरअसल, याचिकाकर्ता प्रेमी जोड़ा जिसमें युवती का नाम रणजीत कौर था और युवक का नाम मंदीप कुमार था लेकिन हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश में गलती से युवक का नाम मंदीप कौर लिख दिया गया। यह समाचार प्रकाशित होने के बाद इस बात की चर्चा आग की तरफ फैल गई कि कैसे एक गुरुद्वारे में दो लड़कियों का विवाह करवा दिया गया।

मामला मीडिया में आने के बाद याचिकाकर्ता के वकील को इस बात की जानकारी मिली की हाईकोर्ट के आदेश में एक क्लेरिकल मिस्टेक के कारण यह मामला संवेदनशील हो गया है। गुरुवार को याची के वकील संजीव कुमार विर्क ने बताया कि वह इस क्लेरिकल मिस्टेक को ठीक करवाने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दायर करेंगे।

उनके अनुसार जोड़े ने खरड़ के गुरुद्वारे में विवाह करवाया था और गुरुद्वारे के रिकॉर्ड में युवक व युवती के आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज दिए गए थे। प्रेमी जोड़ा सुरक्षा की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में मौजूद था लेकिन वह कोर्ट रूम के बाहर था। 25 साल की युवती व 29 साल के प्रेमी युवक ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया था कि वे एक-दूसरे को पसंद करते हैं और 18 अक्तूबर को उन्होंने खरड़ के गुरुद्वारे में विवाह रचाया है। इस विवाह से उनके परिजन खुश नहीं हैं और याचिकाकर्ताओं को जीवन का खतरा है।

खतरे का अंदेशा जताते हुए उन्होंने जालंधर के एसएसपी को मांगपत्र भी दिया था लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। ऐसे में याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। सोमवार को हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए अब जालंधर के एसएसपी को इस मामले में याची के मांगपत्र पर विचार कर उचित निर्णय लेने का आदेश दिया था। साथ ही जोड़े के जीवन व स्वतंत्रता की रक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने आदेश में यह स्पष्ट किया था कि यदि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई होती है तो यह आदेश उसके मार्ग में बाधा नहीं होगा।