
रायपुर 11 नवम्बर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा द्वारा पारित बिलों को राज्यपालों द्वारा रोकने को लेकर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणी का स्वागत करते हुए कहा कि इस गलत परिपाटी पर रोक लगना चाहिए।
श्री बघेल ने आज यहां चुनाव प्रचार के लिए निकलते समय पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर में कहा कि पंजाब में ही नही बल्कि दूसरे राज्यों में भी राजभवन में भाजपा के इशारे पर विधानसभा द्वारा पारित बिलों पर राज्यपाल न तो हस्ताक्षर कर रहे है और न ही उसे लौटा रहे है।उन्होने तमिलनाडु,केरल का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके अपने राज्य छत्तीसगढ़ में भी एक दर्जन बिल राजभवन में हस्ताक्षर के लिए पड़े है और राज्यपाल उस पर हस्ताक्षर नही कर रहे है।
उन्होने कहा कि भाजपा राज्यपालों पर दबाव बनाकर बिलों पर हस्ताक्षर नही करने दे रही है और बिल राजभवन में पड़े है।उन्होने कहा कि भाजपा राजभवन के माध्यम से विरोधी दलों की सरकारों पर कन्ट्रोल करना चाहती है।यह देश के प्रजातंत्र के लिए नुकसानदायक है।उन्होने चुनाव प्रचार के दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता एवं गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पूर्व आईएएस एवं रायगढ़ के भाजपा प्रत्याशी ओ पी चौधरी को जीतने पर बड़ा आदमी बनाने की घोषणा के बाद एक और भाजपा प्रत्याशी पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद विष्णुदेव साय को भी ऐसा ही आश्वासन देने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह कुछ नही चुनाव जिताने का शिगूफा है।
श्री बघेल ने कहा कि श्री शाह जुमलेबाजी में माहिर है।जिस साय को उन्होने आदिवासी दिवस पर प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था,उसे वह बड़ा आदमी बनाने का धोखा दे रहे है।उन्होने कहा कि श्री शाह ने बस्तर में चुनाव के दौरान कहा कि नगरनार इस्पात संयंत्र का निजीकरण नही होंगा जबकि सच यह है कि यह संयंत्र विनिवेश की सूची से अभी तक नही हटा है।
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