राज्य युवा आयोग के पूर्व सदस्य अजय सिंह का कहना है कि डीएसएसी के जरिए करोड़ों रुपये का आहरण वो भी तब जब प्रदेश में आदर्श आचार संहिता प्रभावी थी। निश्चित ही यह बीजापुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार का बड़ा और गंभीर मामला है।
आदर्श आचार संहिता के बीच डीएसएसी के माध्यम से पंचायतों की आड़ में गुपचुप तरीके से चार करोड़ से अधिक राशि आहरण संबंधी पूर्व मंत्री महेश गागड़ा के आरोप के बाद अब कांग्रेस से निष्कासित एवं राज्य युवा आयोग के पूर्व सदस्य अजय सिंह का बड़ा बयान सामने आया है। अजय ने पूर्व मंत्री के आरोपों को न सिर्फ गंभीर बताया है, बल्कि प्रदेश सरकार से इसकी उच्च स्तर जांच की मांग भी उन्होंने की है।
अजय के मुताबिक, डीएसएसी के जरिए करोड़ों रुपये का आहरण वो भी तब जब प्रदेश में आदर्श आचार संहिता प्रभावी थी। निश्चित ही यह बीजापुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार का बड़ा और गंभीर मामला है। प्रदेश सरकार को देर ना करते पूरे मामले की तह तक जाने की आवश्यकता है, ताकि सच जनता का बीच आ सके और आरोप सही पाए जाते हैं तो संबंधित अफसरों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
अजय का आरोप है कि बीजापुर कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत ने विधानसभा चुनाव के दौरान न सिर्फ कांग्रेस के पक्ष में माहौल निर्मित किया बल्कि पंचायतों के विकास पर खर्च होने वाली राशि में डाका डालकर चुनावी चंदे के रूप में विधायक विक्रम को उपलब्ध कराया। इसकी सूक्ष्मता में जांच होनी चाहिए। जांच भी स्थानीय अफसर के भरोसे ना कराकर सरकार अपनी निगरानी में एक जांच कमेटी तय कर इसकी जांच कराएं।
अजय का आरोप है कि एक अक्तूबर 2023 से 3 दिसंबर 2023 उक्त दिनांक तक डीएससी का दुरुपयोग करते हुए 98 ग्राम पंचायतों के नाम 4 करोड़ 44 लाख रुपये की राशि का आहरण कर लिया गया और इसकी भनक पंचायत सचिव-सरपंच तक को लगने नहीं दी। इनमें भैरमगढ़ जनपद अंतर्गत 60 ग्राम पंचायत में से 28 ग्राम पंचायतों में एक करोड़ 51 लाख 361 रुपये, जिसमें एक करोड़ 47 लाख 866 का भुगतान हुआ है। इसी तरह भोपालपट्नम ब्लॉक के 35 पंचायत में से 29 में एक करोड़ 18 लाख का आहरण, जिसमें एक करोड़ 10 लाख 845 रुपये का भुगतान, बीजापुर में 36 पंचायत में से 18 ग्राम पंचायत में 72 लाख का भुगतान और उसूर में कुल 39 में 23 ग्राम पंचायतों में एक करोड़ दो लाख का भुगतान किया गया है।
अजय के अनुसार, डीएसएसी चुनाव से पहले या चुनाव के दौरान सीईओ जिला पंचायत रवि साहू ने अपने कार्यालय मंगवा लिए थे। इसके बाद जिपं के एक कर्मचारी द्वारा दफतर में बैठकर राशि निकालने का खेल खेला गया। जिपं कार्यालय में बैठकर डीएससी के जरिए चार करोड़ 44 लाख रुपये की राशि ट्रांसफर कर ली गई। अब जांच में ही यह स्पष्ट होगा कि ये पैसा आखिर किनके खातों में गया। अजय ने अंदेश जताते कहा कि सरपंच सचिव को इसकी जानकारी ना हो अथवा उन पर दबाव डालकर पूरी व्यूह रचना को मूल रूप दिया गया हो।
अजय के मुताबिक, तीन दिन पहले इसी मामले को लेकर उनकी सीईओ जिपं रवि साहू से फोन पर चर्चा भी हुई थी, तब सीईओ ने अनभिज्ञता जाहिर की थी, लेकिन मेरे द्वारा पुख्ता प्रमाण उपलब्ध कराए जाने के बाद सीईओ स्वयं जांच की बात कर रहे हैं, जो उन्हें बेहद हास्यपद प्रतीत हुआ। पूरे मामले की सरकार की निगरानी में जांच की मांग कर रहे अजय का कहना है कि इतनी बड़ी राशि का आहरण वो भी आचार संहिता के बीच बिना कलेक्टर सीईओ की रचामंदी के संभव नहीं है, वो भी तब जब पंचायतों के खातों में होल्ड लगा हुआ है।