
मुबंई 10 जनवरी।महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट को ही मूल शिवसेना पार्टी माना है और शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
श्री नार्वेकर ने विधान भवन के सेंट्रल हॉल में आज दिए गए फैसले में स्वीकार किया कि 21 जून 2022 को शिवसेना विभाजित हो गई थी।
एकनाथ शिंदे ने कुछ विधायकों के साथ 21 जून 22 को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह किया और बाद में शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके बाद दोनों गुटों ने उच्चतम न्यायालय में अपील की।उच्चतम न्यायालय ने उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के कारण शिंदे की शपथ को वैध ठहराया। न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिए की वो, प्रतिद्वंद्वी गुट द्वारा दायर विधायक अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने के लिए शिवसेना पार्टी के मूल संविधान पर भरोसा करे, जो चुनाव आयोग के पास उपलब्ध है। इसके अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष ने पार्टी के 1999 के संविधान पर भरोसा किया।
नार्वेकर ने शिवसेना के 2018 के संविधान को यह कहते हुए स्वीकार करने से इनकार कर किया, क्योंकि यह चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। नार्वेकर ने स्पष्ट किया कि पार्टी के संविधान के अनुसार उद्धव ठाकरे के पास एकनाथ शिंदे को पार्टी नेता के पद से हटाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी में विभाजन के कारण सुनील प्रभु को अधिकृत व्हिप के रूप में नहीं माना जा सकता है और उन्हें पार्टी की बैठक बुलाने का कोई अधिकार नहीं है। साथ ही अध्यक्ष ने शिंदे भरत गोगावले की व्हिप के रूप में नियुक्ति को स्वीकार कर लिया।
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