फेज-4 में 45 इमारतों (स्टेशन और डिपो) को ग्रीन बिल्डिंग के तय मानकों के हिसाब से बनाया जा रहा है। इन इमारतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएंगे। इससे 10 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
दिल्ली मेट्रो लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने में ही मदद नहीं कर रही, बल्कि पर्यावरण को बचाने में भी मदद कर रही है। वर्तमान में मेट्रो अपनी कुल ऊर्जा में से 35 प्रतिशत सौर ऊर्जा से प्राप्त कर रही है। इसे वर्ष 2031 तक 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है।
वहीं फेज-4 में 45 इमारतों (स्टेशन और डिपो) को ग्रीन बिल्डिंग के तय मानकों के हिसाब से बनाया जा रहा है। इन इमारतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएंगे। इससे 10 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। मेट्रो अधिकारियों के अनुसार, फेज-4 के 65 किलोमीटर के नेटवर्क पर कुल 45 मेट्रो स्टेशन व अन्य इमारतें होंगी। इसमें 27 एलिवेटेड स्टेशन भी शामिल हैं।
स्टेशन और अन्य इमारतों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएंगे। इसके अलावा कुछ जगहों पर एलिवेटेड ट्रैक के आसपास भी सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएंगे। फेज-4 के शुरू होने के दौरान बिजली की करीब 21.8 करोड़ यूनिट सालाना जरूरत होगी। इसमें से एक करोड़ ऊर्जा मेट्रो अपने सौर ऊर्जा संयंत्र से प्राप्त करेगी।
यह हैं फेज-4 के कॉरिडोर
डीएमआरसी फेज-4 के तीन कॉरिडोर के 65 किलोमीटर के निर्माण पर काम कर रही है। इन कॉरिडोर में पिंक और मैजेंटा लाइन के विस्तार के साथ नई गोल्डन लाइन का कॉरिडोर शामिल है। इन तीनों कॉरिडोर पर कुल 45 नए स्टेशन होंगे। इसका काम दिसंबर 2019 में शुरू हुआ था। मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण निर्माण कार्य प्रभावित हो गया था। योजना के तहत जनकपुरी पश्चिम-आरके आश्रम मार्ग (28.92 किमी), मजलिस पार्क-मौजपुर (12.55 किमी) और एयरोसिटी-तुगलकाबाद (23.62 किमी) जिसे गोल्डन लाइन के रूप में बनाया जा रहा है। मजलिस पार्क-मौजपुर लाइन पहले से संचालित मैजेंटा लाइन और पिंक लाइन का विस्तार है।
25% बिजली की बचत करेंगे स्टेशन
मेट्रो फेज-4 में 45 इमारतों (स्टेशन और डिपो) को ग्रीन बिल्डिंग के मानकों के हिसाब से बनाया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यह स्टेशन 35 प्रतिशत पानी और 25 प्रतिशत बिजली की बचत करेंगे। निर्माण के दौरान ध्यान रखा जा रहा है कि ऊर्जा की बचत करने वाले उपकरणों का प्रयोग किया जाए। मेट्रो के अंदर वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए टेरेस गार्डन बनाया जाएगा। बिजली का प्रयोग कम करना पड़े, इसलिए एलिवेटेड स्टेशन को पूरी तरह से कवर करने के बजाय प्राकृतिक लाइटिंग की व्यवस्था की गई है। साथ ही परिसर हवादार भी रहे, जिससे पंखे कम प्रयोग करने पड़ें। उष्मा प्रतिरोधी टाइल्स का प्रयोग किया जा रहा है।
वर्ष 2014 में सौर ऊर्जा के लिए उठाया पहला कदम
डीएमआरसी ने वर्ष 2014 में सौर ऊर्जा के लिए पहला कदम उठाया था। द्वारका सेक्टर-21 में 500 किलोवाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया गया था। वर्तमान में दिल्ली मेट्रो के 142 स्थानों पर सोलन पैनल लगाए गए हैं, जिनसे 50 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में मेट्रो पांच प्रतिशत उर्जा स्टेशनों और अन्य जगहों पर लगे सौर ऊर्जा संयंत्रों से प्राप्त कर रही है।
30 प्रतिशत ऊर्जा मध्य प्रदेश के रेवा में लगे सौर ऊर्जा प्लांट से प्राप्त करती है। फेज-4 के तीनों कॉरिडोर पर स्टेशनों पर 10 मेगावाट अतिरिक्त सौर ऊर्जा के उत्पादन से दिल्ली मेट्रो 60 मेगावाट की उत्पादक हो जाएगी।