दिल्ली में 2008 में हुए टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश सुनाया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस हत्याकांड के चारों आरोपियों को जमानत दे दी है।
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सुरेश कुमार कैत और मनोज जैन ने सजा को रद्द कर दिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस मामले के आरोपी 14 साल से ज्यादा सजा काट चुके हैं। इसके बाद कोर्ट ने उनकी सजा को रद्द कर दिया और जमानत दे दी।
हत्या के पीछे डकैती का मकसद
सौम्या विश्वनाथन की 30 सितंबर, 2008 को सुबह लगभग 3:30 बजे अपनी कार में काम से घर लौटते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने दावा किया था कि उसकी हत्या के पीछे डकैती का मकसद था।
पांच लोगों- रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी को उसकी हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और मार्च 2009 से हिरासत में हैं। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कठोर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) लगाया था।
मलिक और दो अन्य यानी कि रवि कपूर और अमित शुक्ला को पहले 2009 में आईटी कार्यकारी जिगिशा घोष की हत्या में दोषी ठहराया गया था। पुलिस ने कहा कि जिगिशा घोष की हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी से विश्वनाथन की हत्या के मामले का खुलासा हुआ।
2017 में मिली थी ये सजा
ट्रायल कोर्ट ने 2017 में जिगिशा घोष हत्या मामले में कपूर और शुक्ला को मौत की सजा और मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, अगले साल, उच्च न्यायालय ने कपूर और शुक्ला की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था और आजीवन कारावास को बरकरार रखा था। जिगिशा हत्याकांड में मलिक को सजा
इंडिया टुडे में काम करने वाली 25 वर्षीय सौम्या विश्वनाथन 15 साल पहले 30 सितंबर 2008 को दक्षिणी दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर अपनी कार में मृत पाई गई थीं। मामले में सफलता 2009 में बीपीओ कर्मचारी घोष की हत्या की जांच के दौरान मिली थी। जब एक आरोपी ने सौम्या की हत्या में भी शामिल होने की बात कबूल कर ली।