नई दिल्ली 05 नवम्बर।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अवसरों की कोई कमी नहीं है और बड़े पैमाने पर इसमें रोजगार उपलब्ध कराये जा सकते हैं।
श्री कोविंद ने आज यहां वर्ल्ड फूड इंडिया के समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि खान-पान वास्तव में संस्कृति के साथ-साथ वाणिज्यिक संभावनाओं को भी दर्शाता है। भारत में मौजूदा समय में 370 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के खाद्य पदार्थों की खपत होती है। वर्ष 2025 तक यानी एक दशक से भी कम समय में यह आंकड़ा 1 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच जाने की उम्मीद है। भारत की समूची खाद्य मूल्य श्रृंखला में व्यापक अवसर उपलब्ध हैं जिनमें फसल कटाई उपरांत सुविधाएं, रसद (लॉजिस्टिक्स), कोल्ड स्टोरेज चेन श्रृंखला और विनिर्माण शामिल है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें व्यापक कारोबारी इच्छा निहित है।
उन्होने कहा कि खाद्य पदार्थ उद्योग एक बड़ा नियोक्ता हो सकता है और यह संभावना भारत जैसे देश के लिए विशेष मायने रखती है, क्योंकि यहां इतनी बड़ी तादाद में युवा हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि महिलाएं खाद्य क्षेत्र में बड़ी तल्लीनता से जुटी हुई हैं। उन्होंने कहा कि विशेषकर देश के ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना करके महिलाओं के लिए सूक्ष्म-उद्यमियों के रूप में उभरने की व्यापक संभावनाएं हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार तेजी से फल-फूल रहे खाद्य पदार्थ उद्योग के सामाजिक और आर्थिक लाभों से पूरी तरह अवगत है। यह घरेलू और विदेशी निवेश आकर्षित करने की दृष्टि से एक प्रमुख क्षेत्र है। खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए देश के सभी भागों में 41 मेगा फूड पार्कों और कोल्ड चेन की स्थापना की जा रही है।
राष्ट्रपति ने स्टार्ट-अप पुरस्कारों और हैकथॉन पुरस्कारों के विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये पुरस्कार विजेता भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को नया स्वरूप प्रदान करेंगे और गुणवत्ता एवं सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाएंगे। उन्होंने यह बात रेखांकित की कि एक चयनित स्टार्ट-अप ने भारत के अपने नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉ. सी.वी. रमन की खोज ‘रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी’ को एक किफायती हैंडहेल्ड डिवाइस के रूप में अनुकूलित किया है।यह उपकरण भोजन में मिलावट का तुरंत पता लगा सकता है। यह तकनीक खाद्य पदार्थ संबंधी धोखाधडि़यों में अरबों बचा सकती है।