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पाकिस्तान: हाईकोर्ट से इमरान समर्थित सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल को लगा झटका

पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने खान समर्थित सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) को आरक्षित सीटें देने से मना कर दिया था, जिससे नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पीएमएल-एन पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई।

इमरान खान की पार्टी ने घोषणा की है कि वह सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल की याचिका को खारिज करने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी, जिसमें राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में आरक्षित सीटें अन्य दलों को आवंटित करने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी गई थी।

पाकिस्तान में आठ फरवरी को हुए आम चुनावों के बाद से सियासी उठा पटक जारी है। हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ा झटका लगा था, जिसका फायदा पूर्व पीएम नवाज शरीफ को मिला। दरअसल, पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने खान समर्थित सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) को आरक्षित सीटें देने से मना कर दिया था, जिससे नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पीएमएल-एन पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई। इसके बाद एसआईसी ने हाईकोर्ट का रुख किया था, हालांकि वहां से भी उसे मायूस लौटना पड़ा। अब इमरान खान की पार्टी ने एलान कर दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।

इस समय पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं।

हाईकोर्ट से झटका
पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) ने गुरुवार को खान समर्थित सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) को झटका देते हुए उसकी याचिकाओं को खारिज कर दिया। पीठ ने लगातार दो दिनों तक दलीलें सुनीं और एसआईसी द्वारा दायर दो याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस याचिका में पीटीआई के सांसदों ने आठ फरवरी के चुनावों के बाद राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीटों के अपने हिस्से का दावा किया था।

इस फैसले के बाद पीटीआई के अध्यक्ष गौहर अली खान ने कहा कि पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी आरक्षित सीटों के अपने हिस्से का दावा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी। गौहर ने शीर्ष अदालत से मामले की सुनवाई के लिए एक बड़ी पीठ गठित करने का आग्रह किया।

चुनाव कानून की धारा 104 को भी चुनौती दी
एसआईसी ने अदालत से पाकिस्तान निर्वाचन आयोग को संसद में उनकी संख्या के आधार पर आरक्षित सीटें आवंटित करने का निर्देश देने की मांग की थी। याचिका में चुनाव कानून की धारा 104 को भी चुनौती दी गई थी जो आरक्षित सीटों के लिए किसी राजनीतिक दल द्वारा उम्मीदवारों की प्राथमिकता सूची प्रस्तुत करने की अनिवार्यता से संबंधित है।

अदालत ने छह मार्च को एसआईसी को अंतरिम राहत दी थी और नेशनल असेंबली के स्पीकर को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से आरक्षित सीटों पर चुने गए आठ सांसदों को शपथ नहीं दिलाने का निर्देश दिया था। इस मामले में जटिल कानूनी सवालों को ध्यान में रखते हुए, पीएचसी के मुख्य न्यायाधीश ने एक विशेष बड़ी पीठ का गठन किया था, जिसमें न्यायमूर्ति इश्तियाक इब्राहिम, न्यायमूर्ति एजाज अनवर, न्यायमूर्ति सैयद मुहम्मद अतीक शाह, न्यायमूर्ति शकील अहमद और न्यायमूर्ति सैयद अरशद अली शामिल थे।

एसआईसी को आरक्षित सीटें देने से किया था इनकार
पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने हाल ही में 71 साल के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) समर्थित सुन्नी इतेहाद काउंसिल (एसआईसी) को आरक्षित सीटें देने से इनकार कर दिया था। आयोग का कहना था कि एसआईसी के पाले वालीं आरक्षित सीटें अन्य दलों को दे दी जाएं।

दरअसल, पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें अपने नाम की थीं, लेकिन वे बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाए थे। इस वजह से पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएलएन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने घोषणा कर दी थी कि वे गठबंधन सरकार बनाएंगे। हालांकि, पीटीआई ने पीएमएलएन और पीपीपी द्वारा गठबंधन सरकार बनाने के प्रयासों को खारिज कर दिया था।

किस पार्टी ने कितनी जीती थीं सीटें
चुनावों में जेल में बंद इमरान खान की पीटीआई पार्टी की ओर से समर्थित उम्मीदवारों समेत कुल 93 निर्दलीय प्रत्याशियों ने नेशनल असेंबली की सीटें जीती थीं। पीएमएल-एन ने 75 सीटें जीतीं, जबकि पीपीपी 54 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) ने भी 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यहां सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी को 266 सदस्यीय नेशनल असेंबली में लड़ी गई 265 सीटों में से 133 सीटें चाहिए होंगी। कुल मिलाकर, संसद के निचले सदन की 336 सीटों में से 266 सीटों के लिए चुनाव हुए थे। अन्य 60 सीटें महिलाओं के लिए और 10 सीटें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित थीं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने पिछले महीने हुए आम चुनाव के बाद शुरुआत में 75 सीटों पर जीत दर्ज की थी और उसमें नौ निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हुए थे। इसे महिलाओं के लिए 19 आरक्षित सीटें और अल्पसंख्यकों के लिए चार आरक्षित सीटें आवंटित की गईं, जिससे इसकी कुल संख्या 107 हो गई थी।

पीटीआई समर्थित अंतरिम सुरक्षा परिषद (आईएससी) को आरक्षित सीटें देने से ईसीपी के इनकार के बाद तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ नीत पीएमएल-एन को महिलाओं के लिए आरक्षित 20 सीटों में से 15 सीटें और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित तीन सीटों में से एक सीट आवंटित की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 123 सीट के साथ नेशनल असेंबली में नवाज शरीफ की पार्टी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को मिली सीटों की संख्या भी पहले की 68 सीटों से बढ़कर 73 हो गई है। पूर्व वित्त मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी के नेतृत्व वाली पार्टी ने शुरू में 54 सामान्य सीटें जीतीं और उसे अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित 12 सीटें और महिलाओं के लिए दो सीटें आवंटित की गईं। इसके बाद इसे महिलाओं के लिए आरक्षित चार और अल्पसंख्यकों के लिए एक सीट आवंटित की गई थी।

मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) पार्टी के नेशनल असेंबली में 22 सदस्य हैं जबकि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) के सांसदों की संख्या सात से बढ़कर 11 हो गई है।