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भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों से आकर्षित हुई दुनिया

विश्व आर्थिक मंच के वरिष्ठ अधिकारियों ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की प्रशंसा की है। उनका मानना है कि भारत के इस उत्साह ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है।

भारत ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों से पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। अब दुनियाभर की प्रतिभाएं चाहती हैं कि वे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में सहयोग करें। इस उत्साह को देखते हुए सेंटर फॉर फोर्थ इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन (सीफोरआईआर) ने भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कार्यक्रम लॉन्च किया है। यह कार्यक्रम भारत और बाकी देशों के हीच वैश्विक सहयोग बनाने के लिए शुरू किया गया है। यह बातें विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताई हैं।

‘दुनिया की नजरें भारत पर’
सेंटर फॉर फोर्थ इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन की कार्यकारी समिति के सदस्य सेबेस्टियन बकअप का कहना है कि भारत को छोटे और महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष देशों के लिए एक रोल मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। ये सभी देश अब भारत से सहयोग चाहते हैं। डब्ल्यूईएफ चाहता है कि भारत और उभरते अंतरिक्ष देशों के बीच अंतरिक्ष क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई उद्यमी चाहते हैं कि वे भी भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश करें। इसकी वजह यह है कि भारत साझा बुनियादी ढांचे में निवेश कर रहा है और अगर भारत यह काम करने में कामयाब रहा तो अंतरिक्ष क्षेत्र में नए आयाम गढ़ सकता है।

‘दिग्गज देशों की श्रेणी में आ गया है भारत’
बकअप ने अपनी भारत यात्रा के दौरान अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़े कई लोगों के साथ मुलाकात की। इनमें इसरो के अधिकारी, अंतरिक्ष स्टार्ट-अप के प्रतिनिधि और बड़े दिग्गज शामिल थे। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि दुनियाभर के लोग अभी भी भारत को एक उभरता हुआ अंतरिक्ष राष्ट्र बता रहे हैं। वास्तविकता यह है कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र के दिग्गज देशों की श्रेणी में आ गया है। दुनिया को यह समझना अब जरूरी हो गया है कि वास्तव में भारत ने क्या हासिल किया है।

‘भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र ने पकड़ी रफ्तार’
सेबेस्टियन बकअप ने आगे कहा कि हम भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र में भी बहुत अधिक गति देख रहे हैं। हम पूरे भारत में काम करना चाहते हैं और इस उत्साह का लाभ उठाना चाहते हैं। बकअप की मानें तो अंतरिक्ष क्षेत्र जल्द ही एक ट्रिलियन डॉलर उद्योग के रूप में उभरेगा और कई संस्थानों के बड़े निवेशकों की इस क्षेत्र में रुचि होगी।