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निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना उच्चतम न्यायालय ने

नई दिल्ली 24 अगस्त। उच्चतम न्यायालय ने निजात के अधिकार को लेकर अपने दो पूर्व पुराने फैसलों के पलटते हुए आज दिए फैसले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया है।

निजता के अधिकार पर गठित मुख्य न्यायाधीश जे.एस.केहर की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से दिए फैसले में..निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है..।अदालत ने कहा कि  यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आता है।संविधान पीठ ने  निजता के बारे में 1954 एवं 1962 में दिए निर्णय को पलट दिया हैं।

उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशान्त भूषण ने फैसले की जानकारी पत्रकारों को बताया कि संविधान पीठ ने केवल निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है।आधार कार्ड की वैधता के बारे में पीठ ने फिलहाल कोई फैसला नही दिया है।उन्होने कहा कि आधार के बारे में पांच जजो की पीठ अलग से सुनवाई करेगी।

उन्होने कहा कि सरकार ने आधार कानून में सामाजिक कार्यक्रमों एवं आयकर रिटर्न से जोड़ने की बात की है।भविष्य में अगर इससे यात्रा और खरीददारी सहित अन्य चीजों को जोड़ना आसान नही होगा।उन्होने फैसले को ऐतिहासिक करार दिया।उच्चतम न्यायालय के एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता के.टी.तुलसी ने कहा कि आम आदमी की स्वतंत्रता के अधिकार को इस फैसले से बरकरार रखा गया है।इससे अब केवल सरकारी आदेश से लोगो की निजता का अधिकार नही छीन नही सकती।

श्री तुलसी ने कहा कि कानून बनाकर सरकार निजता के अधिकार को केवल नियम बना सकती है लेकिन वह अधिकार छीन नही सकती। उन्होने कहा कि इस निर्णय के दूरगामी परिणाम होंगे।