राज्य उपभोक्ता आयोग ने बीमा की राशि नॉमिनी को न देने पर एक करोड़ रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया है। बीमा की राशि 75 लाख रुपये थी।
बीमा लेने के बावजूद बीमारी से मृत्यु होने पर बीमित राशि न देने पर राज्य उपभोक्ता आयोग ने एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ को ब्याज सहित करीब एक करोड़ रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया है। ये आदेश राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने दिया।
कानपुर आनंदपुरी निवासी मनोज कुमार अग्रवाल ने एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ से वर्ष 2017 में क्लिक-टू-प्रोटेक्ट प्लान लिया था। प्लान की बीमित राशि 75 लाख रुपये थे। बीमा करने से पहले उनकी सभी तरह की मेडिकल जांचें कराई गईं। रिपोर्ट ठीक आने के बाद उनकी पॉलिसी की गई। दो साल तक प्रीमियम दिया गया। वर्ष 2019 में मनोज कुमार की सेहत खराब हो गई। गंभीर होने पर उन्हें मेदांता अस्पताल गुड़गांव में भर्ती किया गया। वहां हेपेटाइटिस ई की पुष्टि हुई। काफी इलाज के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
उनकी पत्नी सीमा रानी अग्रवाल पालिसी में नॉमिनी थीं। उन्होंने कंपनी में क्लेम के लिए आवेदन किया। कंपनी ने ये कहते हुए दावा खारिज कर दिया कि मनोज कुमार अग्रवाल पहले से ही गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। उन्होंने बीमारी छुपाकर बीमा कराया, इसलिए क्लेम नहीं दिया जाएगा। इस पर सीमा रानी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने आदेश दिया कि सीमा रानी अग्रवाल का दावा बिल्कुल सही है। बीमा लेते समय कराए गए मेडिकल टेस्ट में मनोज अग्रवाल की रिपोर्ट बिल्कुल नॉर्मल थी। ऐसे में उन्हें बीमार बताकर क्लेम खारिज करना गलत है।
आयोग ने एचडीएफसी को 75 लाख रुपये और उस पर अप्रैल 2019 से 10 फीसदी सालाना ब्याज देने के आदेश दिए। मानसिक उत्पीड़न के रूप में दो लाख और वाद व्यय के 25 हजार रुपये देने आदेश दिए। हर्जाने की ये कुल रकम करीब एक करोड़ रुपये होगी।