रायपुर 26 अप्रैल।छत्तीसगढ़ की जेलों में लम्बे अर्से से खाद्यान्न और अन्य आवश्यक सामानों की आपूर्ति कर रहे कारोबारियों ने संविदा पर नियुक्त जेल महानिदेशक पर मनमानी करते हुए आचार संहिता के दौरान नियमों को धता बताकर कार्य करने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।
राज्य की मुख्य निर्वाचन अधिकारी रीना साहेब कंगाले को दिए ज्ञापन में कारोबारियों ने बताया हैं कि 16 मार्च 24 को आचार संहिता लग गई जबकि केन्द्रीय जेल रायपुर में बंदियों के भोजन के लिए खाद्यान्न और अन्य आवश्यक सामानों की आपूर्ति के लिए निविदा 22 मार्च को आमंत्रित की गई थी।जेल नियमावली के अनुसार किसी कारण निविदा नही हो पाने पर जारी निविदा को ही तीन माह बढ़ा दिया जाता है।इस कारण 30 जून अथवा आगामी आदेश तक जारी निविदा प्रभावी रहती है।
शिकायत में कारोबारियों ने बताया हैं कि जेल महानिदेशक ने इस प्रावधान को दरकिनार कर 22 मार्च को ही नई फर्म को भारतीय राष्ट्रीय कृषि विपणन संघ (नैफेड) के माध्यम से सभी 33 जेलों में खाद्यान्न और अन्य आवश्यक सामानों की आपूर्ति का आदेश जारी कर दिया।जबकि जेल नियमावली के अनुसार यह अधिकार जेल अधीक्षकों को प्राप्त है। नियमावली के अनुसार जेल अधीक्षकों को अधिकार है कि वह बाजार की समीक्षा करें और सस्ता सुलभ अनाज बंदियों को उपलब्ध करवाए।
कारोबारियों ने शिकायत में यह भी बताया है कि आचार संहिता को दौरान जेल महानिदेशक ने जेल अधीक्षकों के अधिकार को ही अधिक्रमण नही किया बल्कि जेल नियमावली के विपरीत जाकर तीन माह के लिए खाद्यान्न और अन्य आवश्यक सामानों की आपूर्ति का आदेश जारी किया जबकि नियमावली के अनुसार एक दिन ,एक सप्ताह और अधिकतम एक माह के ही खाद्यान्न और अन्य आवश्यक सामानों की आपूर्ति का आदेश देने का प्रावधान है।
जेलों में खाद्यान्न और अन्य आवश्यक सामानों की आपूर्ति करने वाले राज्यभर के कारोबारी एकजुट हो गए है और जेल महानिदेशक के कई दशक से चली आ रही व्यवस्था को बदल कर अपने चहेतों को लाभान्वित करने की कोशिशों का डटकर विरोध कर रहे है।उन्होने मुख्यमंत्री,गृह मंत्री .प्रमुख सचिव जेल से भी इसकी शिकायत की है।कारोबारी राज्य सरकार से न्याय नही मिलने की स्थिति में उच्च न्यायालय भी जाने की तैयारी कर रहे है।