वैश्विक कर्ज 235 लाख करोड़ डॉलर हो चुका है, जो दुनिया की जीडीपी से 238 फीसदी ज्यादा है। राजनीतिक चुनौतियों और आपूर्ति शृंखला दबावों के बीच लचीलेपन के साथ भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) डांवाडोल होती वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित है। मंदी की आहट बंद होते ही दुनिया फिर से महंगाई के दर पर खड़ी है। आलम यह है कि वैश्विक कर्ज 235 लाख करोड़ डॉलर हो चुका है, जो दुनिया की जीडीपी से 238 फीसदी ज्यादा है। राजनीतिक चुनौतियों और आपूर्ति शृंखला दबावों के बीच लचीलेपन के साथ भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। कई ऐसे प्रमुख कारण हैं, जिनकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था निराशजनक वैश्विक माहौल में भी मजबूत बनी हुई है।
67 लाख किलोमीटर लंबा सड़क नेटवर्क
भारत से चरम गरीबी का खात्मा: भारत के केंद्रीय बैंक ने मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा है, पिछले एक दशक में देश में चरम गरीबी में कमी आई है। देश में अब सिर्फ 12.9 फीसदी आबादी ही इस मानक से नीचे जीवनयापन कर रही है। इस तरह से भारत में चरम गरीबी खत्म होने के कगार पर है।
तीसरा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक
भारत तीसरा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक देश है। देश का 100 फीसदी विद्युतीकरण हो चुका है। शहरों में 23.5 घंटे प्रतिदिन और गांवों में 20 घंटे प्रतिदिन बिजली मिल रही है। 2030 तक हरित ऊर्जा क्षेत्र में 5 करोड़ नौकरियां पैदा होंगी।
विशाल सड़क और रेल नेटवर्क
10 वर्ष में भारत में तेजी से सड़कों का जाल बिछा है। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम पर भी काम चल रहा है। 67 लाख किलोमीटर से ज्यादा लंबा सड़क नेटवर्क है, जो अमेरिका के बाद सबसे बड़ा है। रेल नेटवर्क और विमानन क्षेत्र में भारत तीसरा बड़ा देश है।
डिजिटल क्रांति
यूपीआई – ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स जैसे प्लेटफॉर्म को कई देशों ने अपनाया है। 5जी और ब्रॉडबैंड के लिहाज से भी भारत अग्रणी देशों में है। भारत नेट परियोजना के तहत 93 फीसदी गांवों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंची है।
निर्यात में तेज वृद्धि
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में मंदी के बावजूद व्यापार के मोर्चे पर वित्त वर्ष 2024 में भारत के निर्यात ने 778 अरब डॉलर का सार्वकालिक उच्च निर्यात दर्ज किया है। सेवाओं का सातवां सबसे बड़ा निर्यातक बना है। 2023 में सेवा निर्यात में भारत ने वैश्विक औसत को पीछे छोड़ दिया।
648 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार
2024 में भारत शीर्ष 10 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश देशों में रहने वाला है। बढ़ते वैश्विक निवेश और निर्यात की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार 648 अरब डॉलर के सार्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। भारत में सिंगापुर, मॉरिशस अमेरिका, जापान, यूएई जैसे देशों से 80 फीसदी से ज्यादा एफडीआई आया है।