छठा चरण : यूपी की 14 सीटों पर होगा मतदान, पिछले चुनाव में 9 सीटों पर भाजपा, चार पर बसपा और एक सीट पर सपा ने दिखाया था दम, हालांकि उपचुनाव में आजमगढ़ सीट भी भाजपा ने जीत ली थी।
हवाएं शांत हैं। हर रंग सियासी है। हर थाली में उम्मीदों का पुलाव परोसा जा चुका है। कसमें, वादे भी पूरे हो चुके हैं। छठवें चरण में ये सब कसौटी पर होंगे। शनिवार को छठवें चरण के मतदान में 14 सीटों पर वोट पडेंगे। फ्लैशबैक में जाएं तो 2019 के चुनाव में इन 14 सीटों में से 9 पर भगवा फहराया था। वहीं, जौनपुर, अंबेडकरनगर, लालगंज, श्रावस्ती में हाथी ने बाजी मारी थी, तो आजमगढ़ में साइकिल फर्स्ट आई थी। पर, उप चुनाव में भाजपा ने आजमगढ़ पर कब्जा जमा लिया। अंबेडकरनगर और लालगंज के सांसद भी पाला बदलकर भाजपा के साथ हैं। वहीं, श्रावस्ती के सांसद इस बार सपा के टिकट पर मैदान में हैं।
मछलीशहर : तीन सरोज में कांटे की टक्कर
भाजपा ने बीपी सरोज पर फिर दांव लगाया है। वह परंपरागत वोटबैंक और विकास कार्यों के सहारे हैं। सपा ने पूर्व सांसद तूफानी सरोज की बेटी प्रिया सरोज को मैदान में उतारा है। उन्होंने सपा के वोटबैंक के साथ ही युवाओं और महिलाओं को साधने की कोशिश की है। हालांकि भितरघात रोकने की चुनौती है। बसपा ने पंजाब काडर के सेवानिवृत्त आईएएस अफसर कृपाशंकर सरोज को मैदान में उतार कर मुकाबले को रोचक बना दिया है। तीनों प्रमुख उम्मीदवार सरोज बिरादरी के हैं। ऐसे में दलित वर्ग की अन्य बिरादरी की जिधर लामबंदी होगी, उसी का पलड़ा भारी होने की उम्मीद है |
- मुद्दे : बाईपास निर्माण में गई जमीन का मुआवजा, औद्योगिक क्षेत्र का विकास।
सुल्तानपुर : निषादों को सहेजना बड़ी चुनौती
भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को दूसरी बार मैदान में उतारा है। क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों के सहारे वे मैदान में हैं। स्थानीय गुटबंदी से दूर रहने का फायदा मिल रहा है। सपा ने पूर्व मंत्री रामभुअाल निषाद पर दांव लगाया है। चुनाव से ठीक पहले पूर्व विधायक सोनू सिंह को भी अपने पाले में कर लिया। अभी तक निषाद वोटर भाजपा के पाले में रहा है। बसपा ने कुर्मी बिरादरी के उदराज वर्मा को मैदान में उतार कर चुनाव को रोचक बना दिया है।
- मुद्दे : चीनी मिल का जीर्णोद्धार, नहरों में पानी, अस्पतालों में जांच सुविधा की कमी।
भदोही : रोचक मुकाबले की पटकथा है तैयार
भाजपा ने रमेश बिंद का टिकट काट कर डॉ. विनोद कुमार बिंद पर दांव लगाया है। इंडी गठबंधन के तहत तृणमूल कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी मैदान में हैं। दोनों के बीच कड़ा मुकाबला है। वर्तमान सांसद रमेश बिंद के सपा में जाने से भाजपा का खेमा कमजोर हुआ है। लेकिन परंपरागत वोटबैंक और मोदी के नाम व काम का सहारा है। ललितेश पति को भाजपा के परंपरागत वोटबैंक ब्राह्मणों का भी सहारा है। बसपा ने हरिशंकर चौहान दादा को टिकट दिया है।
- मुद्दे : वाराणसी और मिर्जापुर के मुकाबले कम विकास।
संतकबीरनगर : निषादों की होगी अग्निपरीक्षा
संतकबीरनगर में भाजपा ने सांसद प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा है। वह निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. संजय निषाद के बेटे हैं। ऐसे में यहां भाजपा के साथ ही निषाद पार्टी की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। दूसरी तरफ सपा ने अखिलेश सरकार में राज्यमंत्री रहे लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद को मैदान में उतार पर निषाद बिरादरी में बंटवारे की पटकथा तैयार की है। बसपा ने नदीम अशरफ के जरिये मुसलमानों में बंटवारा का दांव चला है।
- मुद्दे : हथकरघा उद्योग बंद होने से बढ़ी बेरोजगारी, होजरी व बर्तन उद्योग का विस्तार।
डुमरियागंज : सेंधमारी ही तय करेगी नतीजा
भाजपा ने जगदंबिका पाल पर चौथी बार दांव लगाया है। वह पार्टी के परंपरागत वोटबैंक के साथ ही मोदी-योगी सरकार के विकास कार्यों के सहारे हैं। यहां सपा ने भीष्म शंकर तिवारी को मैदान में उतार कर ब्राह्मण मतदाताओं को लामबंद करने की कोशिश की है। सपा को परंपरागत वोटबैंक के साथ ही ब्राह्मणों की गोलबंदी का भरोसा है। वहीं बसपा ने नदीम मिर्जा को मैदान में उतारा है। बसपा ने अल्पसंख्यक वोटों में सेंधमारी की कोशिश की है।
- मुद्दे : बाढ़ से तबाही रोकने के लिए बांध, बेरोजगारी, चीनी मिल का न होना।
फूलपुर : दलित वोटरों पर जीत का दारोमदार
भाजपा ने प्रवीण पटेल पर दांव लगाया है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी 2014 में यहीं से सांसद चुने गए थे। ऐसे में उनकी भी प्रतिष्ठा दांव पर है। भाजपा प्रत्याशी परंपरागत वोटबैंक, बिरादरी और मोदी-योगी सरकार के काम के सहारे हैं। सपा ने अमरनाथ मौर्य को मैदान में उतारकर परंपरागत वोटबैंक के साथ ही मौर्य, कुशवाहा को अपने पाले में करने का प्रयास किया है। बसपा ने जगन्नाथ पाल पर दांव लगाकर दलितों के साथ ही पाल बिरादरी को जोड़े रखने की कोशिश की है।
- मुद्दे : बेरोजगारी, महंगाई।
जौनपुर : परंपरागत मतदाताओं का सहारा
भाजपा ने जौनपुर निवासी और महाराष्ट्र के गृहमंत्री रहे कृपा शंकर सिंह पर दांव लगाया है। बसपा के पूर्व सांसद धनंजय सिंह भी अब भाजपा के साथ हैं। परंपरागत वोटबैंक और मोदी योगी के काम का सहारा। अति पिछड़ी जातियों को गोलबंद करने की चुनौती है। सपा ने बसपा सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा पर दांव लगाया है। उन्होंेने सपा के परंपरागत वोटरों के साथ ही भाजपा के कोर वोटर रहे मौर्य-कुशवाहा को अपने पाले में लाने के लिए जमकर पसीना बहाया। बसपा ने वर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव पर दांव लगाया है। उन्हें बसपा के काडर वोटर पर भरोसा है।
- मुद्दे : बेरोजगारी, छुट्टा पशु, बदहाल चिकित्सा व्यवस्था।
बस्ती : दम दिखाएंगी जातियां
बस्ती लोकसभा में भाजपा ने दो बार के सांसद हरीश द्विवेदी पर फिर भरोसा जताया है। वह भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार के काम के साथ परंपरागत वोटबैंक के सहारे हैं। सपा के राम प्रसाद चौधरी को यादव-मुसलमान के साथ ही अपनी बिरादरी की गोलबंदी का भरोसा है। बसपा के लवकुश पटेल ने कुर्मी वोटबैंक में सेंधमारी करने की कोशिश की है। ब्राह्मण और कुर्मी बिरादरी की बहुलता वाली इस सीट पर चुनाव रोचक है।
- मुद्दे : क्षतिग्रस्त सड़कें, बंद चीनी मिल।
अंबेडकरनगर : बसपा के गढ़ में कमल खिलाने की चुनौती
बसपा से जीते रितेश पांडेय इस बार भाजपा से मैदान में हैं। तो सपा के विधायक पूर्व मंत्री लालजी वर्मा उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। बसपा के कमर हयात लड़ाई को त्रिकोणीय बना रहे हैं। अयोध्या के बगल का जिला होने के कारण राम मंदिर निर्माण और विकास कार्य का भी असर यहां है।
इलाहाबाद : दो घरानों के बीच सियासी संग्राम
भाजपा ने विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केसरीनाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज त्रिपाठी को मैदान में उतारा है, तो कांग्रेस ने पूर्व सांसद रेवती रमण सिंह के बेटे पूर्व मंत्री उज्ज्वल रमण सिंह पर दांव लगाया है। बसपा ने रमेश पटेल को मैदान में उतार कर दलित-कुर्मी वोटबैंक सहेजने की कोशिश की है। यहां प्रत्याशी भले कई हों, पर मुख्य लड़ाई दो घरानों के बीच ही है।
- मुद्दे : बेरोजगारी, पेजयल की व्यवस्था।
आजमगढ़ : साख बचाने का इम्तिहान
आजमगढ़ में भाजपा ने उपचुनाव में सपा से यह सीट छीनने वाले भोजपुरी कलाकार दिनेश यादव निरहुआ पर दांव लगाया है। सपा ने धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। बसपा ने मशहूद अहमद को टिकट दिया है। बसपा के कद्दावर नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के आने से धर्मेंद्र यादव खुद को मजबूत मान रहे हैं। वहीं, निरहुआ मोदी-योगी फैक्टर के सहारे हैं। मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है।
- मुद्दे : बेरोजगारी और पलायन की समस्या।
लालगंज : जातीय गोलबंदी पर जीत का दारोमदार
लालगंज सुरक्षित सीट पर भाजपा ने पूर्व सांसद नीलम सोनकर को फिर उतारा है। बसपा से मौजूदा सांसद संगीता आजाद भी भाजपा में हैं। सपा ने दरोगा सरोज पर दांव लगाया है। बसपा ने बीएचयू की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. इंदु चौधरी को टिकट दिया है, जो तेजी से बसपा काडर को संगठित करने में जुटी रहीं।
श्रावस्ती : भितरघात रोकने की चुनौती
पहली बार चुनाव मैदान में उतरे भाजपा प्रत्याशी साकेत मिश्रा पिछली बार बसपा से सांसद बने और वर्तमान में सपा प्रत्याशी राम शिरोमणि वर्मा को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। बसपा के मुईनुद्दीन खां उर्फ हाजी दद्दन खां लड़ाई को त्रिकोणीय बना रहे हैं। यहां पिछले कई बार से सांसद बदल रहे हैं। तो कुछ पार्टियां भितरघात और अपने काडर वोटों में सेंधमारी से भी जूझ रही हैं।
- मुद्दे : बदहाल सड़कें, बेरोजगारी, सांसद के प्रति नाराजगी |
प्रतापगढ़ : राजा भैया फैक्टर भी चलेगा
भाजपा ने सांसद संगम लाल गुप्ता पर फिर दांव लगाया है। सपा ने एसपी सिंह पटेल को मैदान में उतार कर कुर्मी वोटबैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश की है। बसपा ने प्रथमेश मिश्रा को मैदान में उतार कर दलित-ब्राह्मण गठजोड़ बनाने का प्रयास किया है। यहां भाजपा-सपा की सीधी लड़ाई है। राजा भैया फैक्टर भी निर्णायक होगा।
- मुद्दे : छुट्टा पशु, बेरोजगारी।