मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गेल (इंडिया) लिमिटेड द्वारा सीहोर जिले की आष्टा तहसील में लगाई जाने वाली देश की सबसे बड़ी एथेन क्रैकर परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गई है। इस परियोजना से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और प्रदेश के औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा। परियोजना के लिए आवश्यक भूमि आवंटन की शीघ्र कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
बता दें कि शनिवार शाम को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सीहोर की आष्टा तहसील में 60 हजार करोड़ के निवेश से निर्मित होने वाली यह परियोजना देश की सबसे बड़ी एथेन क्रैकर परियोजना होगी। सीएम ने बताया कि इस परियोजना में ग्रीन फील्ड पेट्रोकेमिकल परिसर भी प्रस्तावित है। इसके अंतर्गत एलएलडीपीई, एचडीपीई, एमईजी और प्रोपेलीन जैसे पेट्रोकेमिकल्स का उत्पादन होगा। सीएम डॉ. यादव ने बताया कि इस परियोजना से निर्माण अवधि के दौरान 15,000 व्यक्तियों तथा संचालन अवधि के दौरान लगभग 5,600 व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा। परियोजना में 70 हेक्टेयर की टाउनशिप भी प्रस्तावित है।
मंत्रिमंडल के साथ पीएम के शपथ में होंगे शामिल
सीएम ने बताया कि नौ जून को पीएम नरेंद्र मोदी के शपथ समारोह में शामिल रहूंगा। साथ ही मंत्रिमंडल के सहयोगी, जन प्रतिनिधि और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद रहेंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र समेत सभी सीमावर्ती राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ जल्द अलग-अलग बैठकें कर राज्यों के सहयोग से पूरे किए जाने वाले प्रोजेक्ट्स को पूरा कराने का काम किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही बैठकों का दौर शुरू होगा।
प्रदेश में रोपे जाएंगे साढ़े पांच करोड़ पौधे
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संवर्धन अभियान के तहत भी सरकार तेजी से कम कर रही है। प्रदेश में 16 जून गंगा दशहरा तक एक अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत प्रदेश में साढ़े पांच करोड़ पौधे रोपे जाएंगे। नदी, बावड़ी और कुओं के संवर्धन और निर्माण की दिशा में काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जल संवर्धन अभियान के अंतर्गत नौ जून को नेमावर में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे। 11 जून को रीवा, 12 जून को जानापाव जहां पांच नदियां निकलती हैं, वहां कार्यक्रम होगा। 13 जून को नर्मदापुरम, 14 जून को सागर, 15 जून को ग्वालियर और 16 को गंगा दशहरे के दिन इसका समापन उज्जैन में होगा। भोपाल में मंत्रियों के बंगलों के लिए पौधे काटे जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा प्रोजेक्ट तो रोज बनते हैं पर उसे देख कर ही मंजूरी दी जाती है। अभी इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
नर्मदा का नहीं शिप्रा का पानी ही मिलेगा लोगों को
मुख्यमंत्री ने कहा है कि शिप्रा जहां से निकलती है, वह इंदौर का छोटा गांव है। शिवराज सरकार में नदी जोड़ों अभियान के अंतर्गत जल प्रवाह बनाए रखा गया है। लोगों की मांग है कि शिप्रा में शिप्रा का पानी चाहिए। सेवरखेड़ी के पास देवास और उज्जैन के बीच एक नया स्थान चयन किया है। इसमें छह सौ करोड़ रुपये का खर्च आएगा। कान्ह नदी का पानी शिप्रा में मिलता है। कान्ह नदी इंदौर से निकलती है। इंदौर के सीवर का पानी उज्जैन में आता है। इसके बचाव के लिए 700 करोड़ का टेंडर कर कान्ह नदी के पानी को साफ करने के लिए कहा है। इसके बाद यह पानी पाइप से आएगा, लेकिन इसके बाद भी यह कोशिश होगी कि यह पानी शिप्रा में न मिले। क्योंकि साधु-संत और अन्य लोग शिप्रा के पानी का आचमन करते हैं।