8 जुलाई को केस्को की सुनवाई कानपुर में, 10 जुलाई को यूपीपीसीएल व एसएलडीसी की सुनवाई लखनऊ में, 11 जुलाई को मध्यांचल की सुनवाई लखनऊ विद्युत नियामक आयोग सभागार में, 16 जुलाई को पूर्वांचल की सुनवाई वाराणसी में, 18 जुलाई को दक्षिणांचल की सुनवाई आगरा में, 19 जुलाई को नोएडा पावर कंपनी की सुनवाई ग्रेटर नोएडा में और 20 जुलाई को पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की सुनवाई मेरठ में होगी।
उत्तर प्रदेश में बिजली दरों को लेकर आठ जुलाई से 20 जुलाई के बीच सुनवाई होगी। विद्युत वितरण निगमों में सुनवाई पूरी करने के बाद नियामक आयोग दरें तय करेगा। सुनवाई की तिथि घोषित होते ही उपभोक्ता परिषद ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। परिषद का कहना है कि कई साल से उपभोक्ताओं का वितरण निगमों पर 33122 करोड़ का बकाया लौटाया जाए, उसके बाद बिजली दर बढ़ाने पर विचार किया जाए।
प्रदेश के विद्युत वितरण निगमों की ओर से पावर काॅरपोरेशन ने नियामक आयोग में वर्ष 2024-25 के लिए 101784 करोड़ का वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल किया है। आयोग ने सभी वितरण निगमों को पूरा ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्देश दिया। अब सुनवाई की तैयारी शुरू हो गई है। इस सुनवाई में वितरण निगमों और उपभोक्ताओं का पक्ष सुना जाएगा।
नियामक आयोग के मुताबिक 8 जुलाई को केस्को की सुनवाई कानपुर में, 10 जुलाई को यूपीपीसीएल व एसएलडीसी की सुनवाई लखनऊ में, 11 जुलाई को मध्यांचल की सुनवाई लखनऊ विद्युत नियामक आयोग सभागार में, 16 जुलाई को पूर्वांचल की सुनवाई वाराणसी में, 18 जुलाई को दक्षिणांचल की सुनवाई आगरा में, 19 जुलाई को नोएडा पावर कंपनी की सुनवाई ग्रेटर नोएडा में और 20 जुलाई को पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की सुनवाई मेरठ में होगी। इसमें प्रदेश के आम उपभोक्ता सुनवाई में पहुंचकर बिजली दर पर अपनी बात रख सकते हैं। सुनवाई के बाद नियामक आयोग नई दरें लागू करेगा।
पहले बकाया दें, फिर बढ़ाने की सोचें : वर्मा
उपभोक्ता परिषद में निर्णय लिया है कि परिषद अध्यक्ष सभी सुनवाई में भाग लेंगे। निगमों ने सीधे बढ़ोतरी का कोई प्रस्ताव नहीं दिया है, लेकिन वैकल्पिक रास्ते अपनाते हुए 40 फीसदी से अलग बढ़ोतरी का रास्ता चुना है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री से अपील की है कि बिजली दर बढ़ाने पर विचार करने से पहले उपभोक्ताओं का बकाया लौटाया जाए, क्योंकि उपभोक्ताओं का करीब 33122 करोड़ विद्युत वितरण निगमों पर बकाया चल रहा है। उन्होंने बताया कि सुनवाई के बाद सरकार विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत उपभोक्ताओं को राहत दे सकती है।